सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों की लगातार अनदेखी किए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सोमवार को दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार उसके द्वारा पारित आदेशों का 10 फीसदी भी पालन नहीं करने के मामले में सबसे आगे है, भले ही मुख्यमंत्री उपलब्ध हों या नहीं।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने उम्रकैद की सजा काट रहे मो.आरिफ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। याचिका में सजा में छूट देकर समय से पहले रिहाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली सरकार को सजा में छूट देकर रिहा करने की याचिकाकर्ता की मांग पर विचार करने का आदेश दिया था। सजा समीक्षा बोर्ड के समक्ष याचिकाकर्ता आरिफ की अर्जी पिछले साल से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल दिल्ली सरकार ने इसी तरह के एक मामले में कहा था कि सजा में छूट देने के बारे में निर्णय इसलिए नहीं हो पा रहा है, क्योंकि तत्कालीन सीएम केजरीवाल आबकारी नीति मामले में जेल में हैं।
पिछले साल भी लगाई थी फटकार : इस मामले में पिछले साल नवंबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तब आड़े हाथ लिया था, जब बताया गया था कि सजा समीक्षा बोर्ड ने मामले में फैसले को टाल दिया है।
सरकार बदली, लेकिन नौकरशाही की जड़ता बनी रही
अब इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस ओका ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार की ओर से पहले यह बताया गया था कि मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए मामला आगे नहीं बढ़ रहा है। लेकिन अब वह स्थिति बदल गई है, फिर भी सजा में छूट की मांग वाली याचिकाकर्ता की अर्जी लंबित है। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक स्थिति बदलने के बाद भी नौकरशाही की जड़ता बनी रही।