रायपुर, 20 मई 2025। छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए किए जा रहे युक्तियुक्तकरण को लेकर विभिन्न शैक्षिक संगठनों द्वारा उठाए गए सवालों के संबंध में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने, शिक्षकों के संतुलित वितरण और शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुपालन के उद्देश्य से की जा रही है।
शिक्षा विभाग ने कहा कि 2008 के स्कूल सेटअप में प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षकों की व्यवस्था थी, जो उस समय की आवश्यकताओं के अनुरूप थी, लेकिन 01 अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के बाद नए मानक लागू हुए। अधिनियम के तहत 60 छात्रों तक के लिए 2 शिक्षकों का प्रावधान है और 150 से अधिक छात्रों पर ही प्रधान पाठक की नियुक्ति की जाती है।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि बहुकक्षा शिक्षण ही इसका बेहतर समाधान है, जिसमें शिक्षकों को बहुकक्षा शिक्षण का प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे विभिन्न कक्षाओं को एक साथ गुणवत्तापूर्वक पढ़ा सकें। आंकड़ों के अनुसार राज्य के 30,700 प्राथमिक विद्यालयों में से लगभग 17,000 में छात्र-शिक्षक अनुपात 20 से भी कम है, जिससे यह स्पष्ट है कि छात्रों के अनुपात में शिक्षक पर्याप्त संख्या में हैं।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि 60 से कम दर्ज संख्या वाली शालाओं को लेकर फैलाई जा रही भ्रांति निराधार हैं। विभाग ने कहा कि इन स्कूलों में दो शिक्षकों की व्यवस्था की गई है, जिसमें प्रधान पाठक भी एक शिक्षकीय पद है। अतः यह कहना गलत है कि ये शालाएं एक शिक्षक के भरोसे चलेंगी।
शिक्षा विभाग ने दोहराया कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को कम करना नहीं, बल्कि उनकी तैनाती को तर्कसंगत बनाकर सभी विद्यार्थियों को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध कराना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कहीं भी छात्र-शिक्षक अनुपात अधिनियम से नीचे न जाए।