कोरबा,24मार्च 2025 (वेदांत समाचार)। जिले में कोरबा वन मंडल एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में बड़ी संख्या में डॉक्टर्स और विशेषज्ञों ने भाग लिया। यह कार्यशाला कोरबा जिले में किंग कोबरा कंजर्वेशन प्रोजेक्ट के तहत रखा गया था।
छत्तीसगढ़ में 44% भूभाग वनों से आच्छादित है और यहां का 70% जनसंख्या आजीविका के लिए आज भी कृषि पर निर्भर है। जिस वजह से यहां पर सांपों के साथ आमना सामना होना एक सामान्य बात है और इसी वजह से यहां पर सर्वप्रथम की घटनाएं भी होती हैं।
कार्यशाला में विश्व विशेषज्ञ चैतन्य मालिक ने बताया कि कैसे सर्प दंश के मामले को प्रबंधन करें। एम्स, रायपुर से कृष्ण दत्त चावली ने सर्प दंश में प्राथमिक उपचार कैसे करें, कैसे पहचाने कि सर्प ने काटने के बाद पीड़ित के शरीर में विष छोड़ा है या नहीं।
सर्प विशेषज्ञ विवेक शर्मा ने सांपों की पहचान कैसे करें, विषैले और विषहीन के दंश के निशान में क्या फरक होता हैं। कोरबा की नायब तहसीलदार श्रीमती सविता सिदार ने सर्प दंश में जब मृत्यु हो जाता है उसके बाद रेवेन्यू बुक सर्कुलर पार्ट 6(4) नियम अनुसार 400000 तक की मुआवजा मिल सकता हैं।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों को किंग कोबरा की फोटो स्मृति चिन्ह के रूप में दिया गया। इस कार्यशाला को स्वास्थ्य विभाग के साथ किया गया एवं इसमें एसईसीएल और वेदांता बालको को द्वारा वित्तीय मदद प्रदान की गई।
कोरबा जिले की महापौर संजू देवी राजपूत ने कहा कि कोरबा वन मंडल और नवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किया जा रहा यह कार्यशाला बेहद महत्वपूर्ण है और सर्प के प्रबंधन हेतु एक बेहतर तरीका है।
इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से 350 डॉक्टर्स, कई जिलों से 30 रेस्क्यू टीम्स, मेडीकल कॉलेज से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत अरविंद पीएम वन मंडल अधिकारी कोरबा वन मंडल ने की।
नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के एम सूरज ने NAPSE नेशनल एक्शन प्लान फॉर प्रिवेंशन ऑफ स्नैक बाइट इनवेनमिंग एक्शन प्लान के बारे में जानकारी दी। यह भारत सरकार का प्लान है जिसका उद्देश्य 2030 तक सर्प दंश में मृत्यु के दर को आधा करने का हैं।