रायपुर,20 मई 2025(वेदांत समाचार) । प्रदेशभर के 21 शिक्षक संगठनों ने युक्तियुक्तकरण नीति को रद्द करने समेत चार प्रमुख मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठनों ने मंगलवार, 20 मई को रायपुर स्थित मंत्रालय में संयुक्त रूप से ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलनात्मक रुख अपनाया जाएगा।
इससे पहले सोमवार 19 मई को ज्ञापन देने का प्रस्ताव था, जिसे अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दिया गया था। लेकिन संगठनों ने तय समय पर एकजुट होकर मंत्रालय पहुंचकर शासन के नाम ज्ञापन सौंपा।
शिक्षक संगठनों की प्रमुख मांगें:
युक्तियुक्तकरण नीति को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
सोना साहू केस के तर्ज पर सभी पात्र शिक्षकों को एरियर सहित क्रमोन्नति वेतनमान दिया जाए और इसके लिए सामान्य आदेश (जनरल ऑर्डर) जारी किया जाए।
प्रथम सेवा की गणना कर पेंशन सहित अन्य समस्त लाभ दिए जाएं।
प्राचार्य पदोन्नति में बीएड की अनिवार्यता समाप्त की जाए और डीएड/बीएड दोनों प्रशिक्षित शिक्षकों को समान अवसर मिले।
संगठनों की एकजुटता और संयुक्त बयान
राज्य के 21 प्रमुख शिक्षक संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों — मनीष मिश्रा, केदार जैन, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरें, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मार्चुले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू और अन्य ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि यदि सरकार शिक्षकों की वर्षों पुरानी न्यायोचित मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो राज्य भर में व्यापक आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
शिक्षकों की चेतावनी
संयुक्त मंच ने सरकार को आगाह किया है कि शिक्षक समुदाय की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो भविष्य में उग्र प्रदर्शन और आंदोलन से इनकार नहीं किया जा सकता।
यह प्रदर्शन राज्य में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत और शिक्षक समुदाय की बढ़ती नाराजगी का संकेत देता है। अब देखना होगा कि सरकार इस साझा दबाव के आगे क्या रुख अपनाती है।