रायपुर,02जून 2025(वेदांत समाचार) । संघर्ष ही जीवन है, इसे साकार किया है रायगढ़ जिले की 26 वर्षीय परित्यक्ता महिला बूंदों कुजूर ने। पति के त्याग और एक पैर कटने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। अब जयपुर पैर लगाकर दो बच्चों के साथ फिर से मजदूरी कर जीवन संवारने को तैयार हैं।
अशिक्षा, निर्धनता और विकलांगता को हराया
बूंदों कुजूर ग्राम कुमरता, रायगढ़ की निवासी हैं। शादी के कुछ साल बाद पति ने उन्हें छोड़ दिया। दो बच्चों — अनुरोष (कक्षा 4) और ओबेद (कक्षा 3) की परवरिश का जिम्मा उनके कंधों पर आ गया। वह मजदूरी से गुज़ारा कर रही थीं, लेकिन चार माह पहले बीमारी के कारण उनका एक पैर काटना पड़ा।
हालात मुश्किल हो चले, लेकिन बूंदों ने हिम्मत नहीं हारी। वे विनय मित्र मंडल के पचपेड़ी नाका स्थित स्थायी जयपुर पैर वर्कशॉप पहुंचीं और नया कृत्रिम पैर लगवाकर फिर से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया।
सखी ग्रुप ने दिखाई राह, दी नई उम्मीद
सखी ग्रुप की प्रेरणादायी महिलाएं — उर्वशी लोढ़ा, चंचल बैद, शीतल गोलछा, हेमा दुग्गड़, स्नेहा कोचर और कृति गोलछा ने मासिक मीटिंग के माध्यम से सहायता राशि जुटाई और 8 दिव्यांगों को जयपुर पैर लगवाने में मदद की।
बूंदों कुजूर ने भावुक स्वर में कहा: “अब मैं फिर से मजदूरी कर पाऊंगी, अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाऊंगी। जीवन फिर से शुरू होगा।”
कुल 8 दिव्यांगों को लगाए गए जयपुर पैर
विनय मित्र मंडल के संस्थापक महेन्द्र कोचर, पूर्व अध्यक्ष खेमराज बैद और दीपचंद कोटड़िया ने बताया कि अलग-अलग जिलों से आए 8 दिव्यांगों को 9 जयपुर पैर वितरित किए गए। लाभान्वित होने वालों में शामिल हैं:
अर्जुन ध्रुव – निपनिया, बलौदाबाजार
उत्तम जंघेल – गंदई
रामावतार यादव – बेमेतरा
चीकू भारद्वाज – कोंडागांव
इंद्रजीत कुंजाम – महासमुंद
बूंदों कुजूर – कुमरता, रायगढ़
अर्जुन साहू – अंबागढ़ चौकी
बेनूराम विश्वकर्मा – नंदनी (दोनों पैर)
बूंदों कुजूर और उनके जैसे कई दिव्यांगों को जयपुर पैर और समाज के सहयोग से नया जीवन मिल रहा है। यह सिर्फ पुनर्वास नहीं, बल्कि सम्मानजनक पुनरारंभ की प्रेरणादायक कहानी है।