मुंबई,19मई 2025 : बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की शुरू की गई आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद का टूथपेस्ट ‘पतंजलि दंतकांति’ आज की तारीख में घर-घर की पहचान है. इसकी ब्रांड वैल्य कई करोड़ की हो चुकी है. लेकिन इस टूथपेस्ट की शुरुआत का किस्सा काफी रोचक है. इसके आज करोड़ों का ब्रांड बनने की कहानी इसके मूल स्वरूप को हरिद्वार में गंगा के घाटों पर मुफ्त बांटने से शुरू होती है.
‘पतंजलि दंतकांति’ के टूथपेस्ट बनने से पहले ये एक आयुर्वेदिक दंत मंजन हुआ करता था. ये भारत के उसी आयुर्वेद और पारंपरिक ज्ञान पर बेस्ड फार्मूला था, जो टूथपेस्ट के भारत आने से पहले हजारों सालों तक आम घरों में अपनाया जता था.बाबा रामदेव के योग कैम्प से लेकर राहत शिविर, स्थानीय मेलों, अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम और हरिद्वार में गंगा के घाटों पर इस दंत मंजन को मुफ्त में बांटा गया. पब्लिक से इसका अच्छा रिस्पांस मिलने पर ही पतंजलि आयुर्वेद के विशेषज्ञों ने इसे ‘दंत कांति’ में बनाने का काम किया.
दंत मंजन से ‘दंत कांति’ तक का सफर
टूथपेस्ट और दंत मंजन, दोनों में अपने-अपने गुण हैं, लेकिन टूथपेस्ट जहां सिर्फ दातों की सफाई करता है, वहीं भारतीय ज्ञान पर बना दंत मंजन दातों की समस्याओं को दूर करता है. ऐसे में पतंजलि के विशेषज्ञों ने इन दोनों के गुणों को मिलाकर ‘ दंत कांति’ बनाने का काम किया.
साल 2002 में पतंजलि की टीम एक हर्बल टूथपेस्ट बनाने पर काम कर रही थी. शुरुआत में पतंजलि जिस दंत मंजन को गंगा घाटों पर मुफ्त बांटती थी, उसे ही टूथपेस्ट बेस के साथ कन्वर्ट करके ‘दंत कांति’ बनाया. बाद में इसके बेस में हर्बल एक्सट्रैक्ट और एसेंशियल ऑयल की भी मिक्सिंग की गई और लोगों को वो टूथपेस्ट मिला जिसका लंबे समय से इंतजार था.
करोड़ों का ब्रांड बना ‘दंत कांति’
आयुर्वेदिक इंग्रीडिएंट्स और अपने गुणों के बदौलत ‘पतंजलि दंत कांति’ देखते ही देखते आम परिवारों के बीच पॉपुलर हो गया. वित्त वर्ष 2020-21 में तो पतंजलि को सिर्फ ‘दंत कांति’ ने 485 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाकर दिया. आज ये पतंजलि दंत कांति करोड़ों लोगों के घरों की पहचान है, इतना ही नहीं इसकी ब्रांड वैल्यू कई करोड़ रुपये की हो चुकी है.