नई दिल्ली ,01 अप्रैल 2025: फाइनेंशियल ईयर के आखिरी महीने में जीएसटी कलैक्शन 9.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1.96 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया. मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. जीएसटी का घरेलू लेनदेन से राजस्व 8.8 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 13.56 प्रतिशत बढ़कर 46,919 करोड़ रुपये रहा. मार्च के दौरान कुल रिफंड 41 प्रतिशत बढ़कर 19,615 करोड़ रुपये हो गया. रिफंड समायोजित करने के बाद मार्च, 2025 में शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.76 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो एक वर्ष पहले इसी महीने की तुलना में 7.3 प्रतिशत अधिक है.
FY 2025 में जीएसटी से हुई इतनी कमाई
इससे पहले फरवरी के महीने में भी सरकार को जीएसटी से अच्छी खासी कमाई हुई थी, फरवरी में जीएसटी कलेक्शन से सरकार के पास 1.84 लाख करोड़ रुपए आए. वहीं जनवरी की बात करें तो इस महीने में सरकार को 1.96 लाख करोड़ रुपए जीएसटी कलेक्शन में मिले थे. अगर 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक के बीच के जीएसटी कलेक्शन की बात करें तो सरकार को 21.72 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई है.
हीना | जीएसटी कलेक्शन |
अप्रैल | 2024 2.1 लाख करोड़ रुपए |
मई 2024 | 1.73 लाख करोड़ रुपए |
जून 2024 | 1.74 लाख करोड़ रुपए |
जुलाई 2024 | 1.82 लाख करोड़ रुपए |
अगस्त 2024 | 1.75 लाख करोड़ रुपए |
सितंबर 2024 | 1.73 लाख करोड़ रुपए |
अक्टूबर 2024 | 1.87 लाख करोड़ रुपए |
नवंबर 2024 | 1.82 लाख करोड़ रुपए |
दिसंबर2024 | 1.77 लाख करोड़ रुपए |
जनवरी2025 | 1.96 लाख करोड़ रुपए |
फरवरी 2025 | 1.84 लाख करोड़ रुपए |
मार्च 2025 | 1.96 लाख करोड़ रुपए |
टोटल | 22.09लाख करोड़ रुपए |
GST के नए नियम 1 अप्रैल से लागू
पहले बिजनेस करने वालों के पास कॉमन ITC को अपने अन्य GST रजिस्ट्रेशन में आवंटित करने के लिए दो ऑप्शन थे. इसमें दो ऑप्शन यह थे कि ISD मैकेनिज्म या क्रॉस-चार्ज मेथड, लेकिन अब 1 अप्रैल 2025 से ISD का इस्तेमाल न करने पर रेसिपिएंट लोकेशन के लिए ITC नहीं दी जाएगी. अगर ITC का गलत वितरण होता है तो टैक्स अथॉरिटी ब्याज सहित राशि वसूल करती है. इसके साथ ही अनियमित वितरण के लिए जुर्माना भी लगेगा, जो ITC की राशि या 10 हजार रुपए से भी अधिक होगा.
जीएसटी सिस्टम
माना जा रहा है कि यह बदलाव जीएसटी सिस्टम को और अधिक व्यवस्थित करने की दिशी में एक और बड़ा कदम है. ISD सिस्टम से न केवल राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू वितरण होगा, बल्कि व्यवसायों को भी अपनी टैक्स देनदारियों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी. यह कदम टैक्स की चोरी रोकने और सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए काफी अच्छी साबित होगी.