Vedant Samachar

नवरात्रि के आठवें दिन ऐसे करें मां महागौरी को प्रसन्न, जानें महाअष्टमी कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

Lalima Shukla
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हिंदू धर्म नवरात्रि को बहुत ही पवित्र माना जाता है. कहते हैं कि इस दौरान मां अपने भक्तों का उद्धार करने धरती पर आती हैं. नवरात्रि के दौरान सभी लोग मां भगवती के नौ रूपों आराधना तथा व्रत का पालन करते हैं. नवरात्रि के आठवे दिन मां महागौरी की अराधना की जाती है. मान्यता है कि मां महागौरी की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के सारे बिगड़े काम बन जाते हैं साथ ही सभी प्रकार के रोगों से भी मुक्ति मिलती है. कहते हैं कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि का व्रत पूरा होता है. कुछ लोग नवरात्रि के आठवे दिन यानी अष्टमी तिथि को भी कन्या पूजन करते हैं. वहीं अगर कन्या पूजन शुभ मुहूर्त और सही विधि से किया जाए. तो व्यक्ति को माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

वैदिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि के शुरुआत 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट पर होगी. वहीं तिथि के समापन 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगी, जिसके बाद महानवमी तिथि का शुरुआत हो जाएगी जो कि 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में अष्टमी तिथि का कन्या पूजन 5 अप्रैल और महानवमी 6 अप्रैल को होगी.

मां दुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर सफेद रंग के वस्त्र धारण करें. उसके बाद पूजा स्थल की साफ सफाई कर मां महागौरी की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से साफ कर लें. मां महागौरी को सफेद रंग अतिप्रिय है और इसलिए पूजा में सफेद रंग के पुष्प भी अर्पित करना बहुत शुभ माना गया है. इसके बाद मां को रोली व कुमकुम का तिलक लगाएं, फिर मिष्ठान, पंच मेवा और फल अर्पित करें. अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करते समय उन्हें काले चने का भोग लगाना चाहिए. अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन भी शुभ माना जाता है. इसके बाद आरती व मंत्रों का जाप करें.

पंचांग के अनुसार, महाअष्टमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रह सकता है. इस दौरान कन्या पूजन कर मां आदिशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.

कन्या पूजन विधि | Kanya Pujan Vidhi

कंजक पूजन के लिए अष्टमी या नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें. फिर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें. कन्या पूजन के लिए कन्याओं को और एक बालक को आमंत्रित करें. जब कन्याएं घर में आए तो माता का जयकारा लगाएं. उसके बाद सभी कन्याओं का पैर खुद अपने हाथों से धुलें और पोछें. इसके बाद उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. फिर उनके हाथ में मौली या कलावा बाधें. एक थाली में घी का दीपक जलाकर सभी कन्याओं की आरती उतारें. आरती के बाद सभी कन्याओं हलवा-पूरी, चना का भोग लगाएं. भोजन के बात अपनी सामर्थ अनुसार कन्याओं को कुछ न कुछ भेंट जरूर दें. आखिरी में कन्याओं का पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें.

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