एनएसई ने पार किया 22 करोड़ निवेशक खातों का आँकड़ा

मध्य प्रदेश, 11 अप्रैल 2025: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया ने अप्रैल 2025 में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की, जब निवेशकों के कुल खाते यानि यूनिक क्लाइंट कोड्स (यूसीसी) की संख्या 22 करोड़ के पार पहुँच गई। खास बात यह रही कि अक्टूबर 2024 में 20 करोड़ के आँकड़े को पार करने के बाद सिर्फ छह महीनों में ही कंपनी तेज़ी से यह महत्वपूर्ण बढ़त हासिल करने में सफल रही है। वहीं, 31 मार्च, 2025 तक यूनिक रजिस्टर्ड निवेशकों की संख्या 11.3 करोड़ दर्ज की गई, जो कि 20 जनवरी, 2025 को ही 11 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी थी।

एक निवेशक के कई ब्रोकर्स के साथ खाते हो सकते हैं, जिससे उसके नाम पर एक से अधिक क्लाइंट कोड हो सकते हैं। यदि राज्यों की बात करें, तो निवेशक खातों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है, यहाँ कुल 3.8 करोड़ खाते हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 2.4 करोड़, गुजरात में 1.9 करोड़ और राजस्थान व पश्चिम बंगाल दोनों में प्रत्येक में 1.3 करोड़ निवेशक खाते दर्ज किए गए हैं। ये राज्य मिलकर कुल खातों का लगभग 49% हिस्सा बनाते हैं, जबकि शीर्ष 10 राज्य मिलकर लगभग तीन-चौथाई खातों में योगदान देते हैं।

बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स ने पिछले पाँच वर्षों में औसतन 22% सालाना रिटर्न दिया है, जबकि निफ्टी 500 इंडेक्स ने 25% सालाना रिटर्न देकर इस अवधि में निवेशकों के लिए शानदार संपत्ति निर्माण दिखाया है। इसके साथ ही, एनएसई का इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड (आईपीएफ) भी 31 मार्च, 2025 तक सालाना 23% की बढ़ोतरी के साथ 2,459 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।

श्री श्रीराम कृष्णन, चीफ बिज़नेस डेवलपमेंट ऑफिसर, एनएसई, ने कहा, “भारत में निवेशकों की संख्या काफी तेज़ी से बढ़ रही है। सिर्फ छह महीनों में ही 2 करोड़ से अधिक नए खाते जुड़ना इस बात का संकेत है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद निवेशक भारत की विकास यात्रा पर पूरा भरोसा कर रहे हैं। इस तेज़ बढ़त के पीछे बड़ी वजह तेज़ी से हुआ डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और मोबाइल ट्रेडिंग को अपनाने का बढ़ता चलन है, जिसने टियर 2, 3 और 4 शहरों के निवेशकों के लिए भी पूँजी बाजार को पहले से कहीं अधिक आसान और सुलभ बना दिया है। इस बढ़त से यह भी स्पष्ट है कि खुदरा निवेश को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाएँ काफी सफल रही हैं, जिनमें व्यापक वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम और आसान केवाईसी प्रक्रिया शामिल हैं। जैसे-जैसे इक्विटी, ईटीएफ, आरईआईटी, इन्वआईटी और बॉन्ड जैसे अलग-अलग निवेश साधनों में लोगों की भागीदारी बढ़ रही है, यह उपलब्धि एक परिपक्व हो रहे वित्तीय सिस्टम की ओर इशारा करती है, जहाँ टेक्नोलॉजी निवेश के मौकों को सभी के लिए आसान और सुलभ बना रही है।”