मुंबई,07मार्च 2025 : RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के द्वारा उठाए गए इन कदमों से GDP के आंकड़ों में सुधार होने की उम्मीद है, लेकिन 31 मार्च को समाप्त हो रहे फाइनेंशियल ईयर में देश की GDP 6.5 पर रहने की उम्मीद है, जो पिछले 12 महीने में 9.2 से काफी कम है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 11 दिसंबर 2024 को पदभार संभाला था. नए गवर्नर के सामने देश की सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था का रफ्तार देना बड़ी चुनौती थी, जिसके चलते RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 7 फरवरी को ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की. जानकारों के अनुसार शुरुआती दौर में देश की इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए ये एक अच्छी पहल थी, लेकिन लॉग टर्म में RBI और सरकार को कई बड़े कदम उठाने होंगे.
ये कदम देगा GDP को बूस्ट
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नॉ बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों को लोन देने के लिए एक अलग फंड बनाया है. इसके साथ ही उन्होंने 25 फरवरी, 2025 से माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर जोखिम भार घटाकर 100% कर दिया था. इससे पहले, इन ऋणों पर 125% का जोखिम भार लगा था. यह निर्णय, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB), स्थानीय क्षेत्र के बैंकों (LAB), और वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू है. इसका सीधा असर देश की इकोनॉमी पर पड़ेगा और इससे GDP में तेजी आएगी.
31 मार्च तक कितनी रहेगी GDP ग्रोथ
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के द्वारा उठाए गए इन कदमों से GDP के आंकड़ों में सुधार होने की उम्मीद है, लेकिन 31 मार्च को समाप्त हो रहे फाइनेंशियल ईयर में देश की GDP 6.5 पर रहने की उम्मीद है, जो पिछले 12 महीने में 9.2 से काफी कम है. साथ ही अगले फाइनेंशियल ईयर में भी GDP में बहुत तेजी आने की उम्मीद नहीं है, इसके पीछे कई बड़े कारण मौजूद हैं.
किस वजह से GDP की रफ्तार हुई सुस्त?
भारत की GDP की रफ्तार कम होने के पीछे कई वजह हैं, जिसमें देश के शहरी उपभोक्ता की मांग कम होना है, इसके साथ ही मजदूरी स्थिर है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से नौकरियों पर खतरा बढ़ा है. इसके साथ ही सितंबर 2024 से लेकर फरवरी 2025 के बीच शेयर बाजार में 900 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है और दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ वार शुरू करने जा रहे हैं. इन सभी वजहों से देश की GDP सुस्त पड़ी हुई है.