मुंबई,09मार्च 2025: अगर आप लॉन्ग टर्म रिटर्न के लिए प्रॉपर्टी में निवेश करने को बेहतर ऑप्शन मानते हैं, तो अब भारत का रियल एस्टेट का मार्केट पूरी तरह से बदलता जा रहा है. रियल एस्टेट के मामले में अब दिल्ली-मुंबई जैसे मेट्रो शहर नहीं बल्कि ये शहर निवेशकों को पैसा बनाकर दे रहे हैं.
जमीन या रियल एस्टेट, ये वो निवेश है जो कई पीढ़ियों तक रिटर्न देता है. अगर आप भी लॉन्ग टर्म रिटर्न के लिए प्रॉपर्टी में निवेश करना पसंद करते हैं, तब आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि अब भारत में दिल्ली-मुंबई जैसे शहर नहीं बल्कि कई दूसरे शहर रियल एस्टेट में बढ़िया रिटर्न दे रहे हैं. देश के इन इलाकों और नए उभरते शहरों में रियल एस्टेट की डिमांड, उनका प्राइस एप्रिसिएशन तेजी से बढ़ रहा है.
जी हां, रियल एस्टेट सेक्टर का फ्यूचर अब दिल्ली-मुंबई-बेंगलुरू जैसे बड़े मेट्रो शहर नहीं, बल्कि देश के टियर-2 और टियर-3 शहर लिख रहे हैं. यहां होम बायर्स की डिमांड बढ़ रही है और डेवलपर्स भी खूब पैसा लगा रहे हैं.
रियल एस्टेट सेक्टर के प्रमुख संगठन क्रेडाई और लियाज फोराज की एक जॉइंट स्टडी में कई अनोखी बातें सामने आई हैं. डेटा एनालिसिस के आधार पर ये पता चला कि डेवलपर्स ने 2024 में कुल 3,294 एकड़ जमीन की खरीद फरोख्त की है. इसमें से करीब 44 प्रतिशत जमीन 60 टियर-2 और टियर-3 शहरों में खरीदी गईं.
क्यों बढ़ रहा छोटे शहरों में निवेश?
सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश के चलते छोटे शहरों की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है. वहीं खर्च के हिसाब से ये शहर अब भी अफॉर्डेबल हैं. इसलिए रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों की ग्रोथ के लिहाज से इन शहरों में लोगों का निवेश बढ़ रहा है.
ईटी की एक खबर के मुताबिक क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौर का कहना है कि टियर-2 और टियर-3 शहर भारत के शहरीकरण की अगली दास्तान लिखेंगे. ये आर्थिक विविधीकरण के साथ समावेशी विकास और ग्रोथ को परिभाषित करते हैं. इसलिए अब डेवलपर्स की कुल खरीदी गई जमीन में लगभग आधी जमीन छोटे शहरों में खरीदी गई है.
कैसा है छोटे शहरों का रियल एस्टेट बाजार?
इन 60 छोटे शहरों में घरों की सेल 20 प्रतिशत तक बढ़ी है. कुल 6,81,138 रेजिडेंशियल यूनिट बिकी हैं. अगर वैल्यू के हिसाब से देखें तो ये ग्रोथ 43 प्रतिशत बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपये की रही है. लग्जरी होम की सेल ने इस ग्रोथ को बढ़ाने में बहुत मदद की है. लग्जरी यूनिट की सेल टोटल वैल्यू का 71 प्रतिशत रही है.
भारत के रियल एस्टेट बाजार का आकार 22.5 लाख करोड़ रुपये है. देश की इकोनॉमी में इसका योगदान 7.2 प्रतिशत है. रियल एस्टेट के उभरते बाजारों में बड़े शहरों के सैटेलाइट शहर जैसे कि गाजियाबाद, नोएडा, कल्याण, ठाणे शामिल हैं. वहीं लखनऊ, जयपुर और भुवनेश्वर जैसी राज्यों की राजधानियां भी इसी श्रेणी में आती हैं.