चंडीगढ़,05 मई 2025: पंजाब सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण खबर आई है, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने धान की बुआई को लेकर सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इस निर्णय के साथ, अब 1 जून से पंजाब में धान की बुआई में कोई कानूनी रुकावट नहीं होगी, और किसानों को इस तारीख से अपने खेतों में धान की रोपाई करने की पूरी अनुमति मिल जाएगी।
-1 जून से धान की बुआई शुरू
पंजाब सरकार ने पहले ही 1 जून से धान की बुआई शुरू करने के लिए एक अधिसूचना जारी कर दी थी, जिसके बाद चंडीगढ़ के वकील एचसी अरोड़ा ने इस आदेश को एनजीटी में चुनौती दी थी। उन्होंने सरकार की अधिसूचना को रद्द करने और बुआई को स्थगित करने की मांग की थी, ताकि भूमि जल संरक्षण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके।
अरोड़ा की याचिका में यह तर्क दिया गया था कि पंजाब उप-भूमि जल संरक्षण अधिनियम 2008 की धारा तीन के तहत, किसी भी किसान को 10 मई से पहले बुआई करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए बयानों का हवाला भी दिया था, जिसमें उन्होंने 10 मई के बाद बुआई की बात कही थी। हालांकि, एनजीटी ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को बुआई की तारीख में बदलाव से पर्यावरण और जल स्तर पर पड़ने वाले असर को साबित करना चाहिए था, जो याचिका में प्रस्तुत नहीं किया गया था।
-पंजाब सरकार को मिली बड़ी राहत
एनजीटी के इस फैसले के बाद पंजाब सरकार को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने 1 जून से धान की बुआई के लिए बिजली और पानी की समुचित व्यवस्था की है, और इस बाबत बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक भी की गई है। गौरतलब है कि पिछले साल धान की बुआई 11 जून से शुरू हुई थी, और 2009 के बाद से कभी भी 1 जून से बुआई नहीं हुई थी।
हालांकि, पर्यावरणविदों ने इस निर्णय पर अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि 1 जून से धान की बुआई शुरू करने से भूमिगत जल का अत्यधिक उपयोग हो सकता है, जो आने वाले समय में जल संकट का कारण बन सकता है। उनका यह भी मानना है कि यह फैसला पर्यावरणीय दृष्टिकोण से नुकसानदेह हो सकता है। इस निर्णय के बाद पंजाब में खेती के कैलेंडर और जल संरक्षण को लेकर बहस जारी रहेगी, लेकिन फिलहाल किसान 1 जून से धान की बुआई की तैयारी में जुटे हुए हैं।