मुंबई,11जून 2025 : टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस में कुछ बदलाव होने वाले हैं. कंपनी के बोर्ड में कुछ नए लोगों को शामिल किया जाएगा, कुछ पुराने सदस्यों के रिटायर होने की जानकारी है जिस वजह से अब कंपनी में नए लोग आएंगे. वहीं कंपनी नए आइडिया पर 30000 करोड़ का दांव लगा सकती है. दरअसल,टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस अब एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही है. कंपनी के बोर्ड में जल्द ही नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति की तैयारी है और इसके साथ ही एक बड़ा निवेश प्लान और नई रणनीतिक प्राथमिकताएं भी तय की जा रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा संस करीब 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी का इस्तेमाल अपने प्रमुख बिजनेस वर्टिकल्स को और अधिक मजबूत करने में करने वाली है.
क्या है टाटा संस की नई रणनीति?
टाटा संस के लिए यह बदलाव केवल चेहरों का नहीं, बल्कि सोच और विज़न का भी है. नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति को ध्यान में रखते हुए की जा रही है. बोर्ड में नए पेशेवरों के जुड़ने से उम्मीद है कि कंपनी की डिजिटल, कंज़्यूमर और ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाएं और तेज़ी से आगे बढ़ेंगी.
कहां खर्च होंगे 30,000 करोड़ रुपये?
सूत्रों के मुताबिक, यह बड़ी राशि टाटा ग्रुप की टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, टाटा पावर और टाटा मोटर्स EV जैसी भविष्य की दिशा तय करने वाली कंपनियों में निवेश की जा सकती है. समूह का फोकस अब सस्टेनेबल एनर्जी, AI और डिजिटल इनोवेशन, ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) और कंज़्यूमर टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर्स पर है.
टाटा संस का यह कदम क्यों है अहम?
लीडरशिप रिफ्रेश: बोर्ड में नए विचारों और अनुभवों की एंट्री.
कैपिटल डिप्लॉयमेंट: 30,000 करोड़ की रणनीतिक फंडिंग से ग्रोथ स्टोरी को नई रफ्तार.
विजन 2030: टाटा ग्रुप का लक्ष्य अगले 5 साल में ग्लोबल स्तर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना.
टाटा संस के इस रिफॉर्म से यह स्पष्ट है कि समूह अब पारंपरिक बिजनेस मॉडल से हटकर भविष्य की तकनीकों और सस्टेनेबिलिटी की ओर बढ़ रहा है. नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति और भारी निवेश इसके संकेत हैं कि टाटा अब सिर्फ एक कॉर्पोरेट ग्रुप नहीं, बल्कि भारत के नए टेक और इनोवेशन युग का अगुवा बनना चाहता है.