देश में वैसे तो कई तरह की बीमारियों ने लोगों को अपने जद में ले रखा है. बावजूद इसके कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं जिनके बारे में मरीज को पता तक नहीं चलता और फिर धीरे-धीरे बीमारी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है जिसका इलाज फिर नामुमकिन हो जाता है. देश में मानसिक स्वास्थ्य की समस्या इन्हीं सब में से एक है.टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत में मनोवैज्ञानिक डॉक्टर नीरजा अग्रवाल ने बताया कि बड़ी परेशानी इस बात की है कि पहले यह बीमारी केवल मेट्रो और बड़े शहरों तक सीमित थी, लेकिन अब भारत के टियर 2 और 3 सिटी में भी मेंटल हेल्थ के मरीज काफी संख्या में बढ़ते जा रहे हैं.
कोविड से समय महसूस हुई परेशानी
कोविड के समय केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बकायदा ऐसे सेंटर की शुरुआत की थी जिसके माध्यम से लोगों की मानसिक परेशानी को दूर किया जा सके. इसके लिए केन्द्र सरकार ने काफी पहल की थी. डॉ नीरजा अग्रवाल ने इस बात का दावा किया कि डिजिटल मेंटल हेल्थ को लेकर लंबे अरसे से काम कर रहा EMONEEDS के माध्यम से युवाओं की एक बड़ी आबादी तक पहुंचा है. इसके परिणाम भी मिले और 78 प्रतिशत लोगों को तुरंत सुधार महसूस हुआ.
युवा हो रहे हैं इसके शिकार
डॉ नीरजा अग्रवाल ने बताया कि हाल के सर्वेक्षण में इस बात का पता चला है कि देश में मेंटल हेल्थ की परेशानी से जूझने वाले आयु वर्ग में युवाओं की संख्या काफी बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि बड़ी समस्या इस बात की है कि देश की बड़ी आबादी युवाओं की ऐसी है जिन्हें पता ही नहीं है कि उनका मेंटल हेल्थ बिगड़ चुका है अथवा बिगड़ रहा है.
एक कॉल पर इलाज
रजत गोयल ने कहा कि कॉल के माध्यम से हमने डिप्रेशन, एंजाइटी, सीज़ोफ्रेनिया, ओसीडी, बाईपोलर डिसऑर्डर जैसी समस्या से पीड़ित मरीजों का इलाज शुरु किया. उन्होंने कहा कि हमने ऐसे मरीजों को चिन्हित किया जो सुदूर ग्रामीण इलाकों में रहते हैं.
कहां से शुरु हुआ प्रोजेक्ट?
भारत के कुछ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इसके लिए चुना गया. इसमें बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, हरियाणा, पूर्वोत्तर के राज्य, गुजरात, जम्मू कश्मीर, केरल, लेह, अंडमान निकोबार समेत देश के करीब दो दर्जन राज्यों तक टेक्नोलॉजी के माध्यम से पहुंचने की कवायद शुरु हुई. दावा यह किया गया है कि देश के 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने के मिली कामयाबी मिली है. इसके साथ 150 से ज़्यादा गांव के लोगों को मेंटल हेल्थ से संबंधित उपचार मिला है. जिससे कि 78 प्रतिशत लोगों में उपचार के बाद असर दिखा है.
क्या कहते हैं आंकड़े?
जानकारी के मुताबिक, भारत की एक बड़ी आबादी का 11 – 12 फीसदी लोग किसी न किसी मानसिक समस्या की चपेट में हैं. इन बीमार लोगों के लिए हर जगह उपचार हो यह सुविधा देश में नहीं है. लिहाज़ा किस तरह से तकनीक कारगर हो सकता है उसकी ये मुहिम एक झलक भर है. डॉक्टर नीरजा अग्रवाल की मानें तो मेंटल हेल्थ से पीड़ित लोगों को अगर सही वक्त पर इलाज नहीं मिला तो ये बीमारी बढ़ती जाती है और ठीक होने की गुंजाइश कम होती जाती है.
कोविड से समय महसूस हुई परेशानी
कोविड के समय केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बकायदा ऐसे सेंटर की शुरुआत की थी जिसके माध्यम से लोगों की मानसिक परेशानी को दूर किया जा सके. इसके लिए केन्द्र सरकार ने काफी पहल की थी. डॉ नीरजा अग्रवाल ने इस बात का दावा किया कि डिजिटल मेंटल हेल्थ को लेकर लंबे अरसे से काम कर रहा EMONEEDS के माध्यम से युवाओं की एक बड़ी आबादी तक पहुंचा. परिणाम भी मिले और 78 प्रतिशत लोगों को तुरंत सुधार महसूस हुआ.