छत्तीसगढ़,@Lalima shukla,मनोज कुमार, जिन्हें हिंदी सिनेमा में ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता है, का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह न केवल परदे पर राष्ट्रभक्ति के प्रतीक थे, बल्कि असल जीवन में भी एक सच्चे भारतीय थे। मनोज कुमार का जन्म एबटाबाद (अब पाकिस्तान) में हुआ था और भारत वि,भाजन के बाद वे अपने परिवार के साथ भारत आ गए। उन्होंने मुंबई में संघर्ष करते हुए एक सफल अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।
छत्तीसगढ़ से जुड़ाव
मनोज कुमार का छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक विशेष नाता था। उनके पुराने मित्र और दुर्ग के वरिष्ठ पत्रकार सुदर्शन श्रृंगारी ने उन्हें छत्तीसगढ़ की उपजाऊ भूमि के बारे में बताया। श्रृंगारी की सलाह पर मनोज कुमार ने गुंडरदेही तहसील के इरागुड़ा गांव में करीब 54 एकड़ कृषि भूमि खरीदी, जो कि ऐतिहासिक तांदुला जलाशय के समीप स्थित है। यह क्षेत्र दो फसली और अत्यधिक उपजाऊ माना जाता है।
कृषि और ग्रामीण जीवन की ओर रुझान
1980 के दशक की शुरुआत में जब मनोज कुमार ने देशभक्ति पर आधारित फिल्मों से खास पहचान बना ली, तब उनका रुझान कृषि और ग्रामीण जीवन की ओर बढ़ा। उन्होंने अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ में कृषि कार्य भी कराया, लेकिन बाद में दूरी और पारिवारिक व्यस्तताओं के चलते उनके बेटे ने वह जमीन बेच दी।
मनोज कुमार की फिल्मी यात्रा
मनोज कुमार ने अपनी फिल्मों के माध्यम से भारतीयता की खोज की। उनकी फिल्में जैसे कि ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘शोर’, और ‘क्रांति’ ने दर्शकों को देशभक्ति की भावना का एहसास कराया। उन्हें उनकी देशभक्ति से परिपूर्ण फिल्मों के लिए जाना जाता है और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्मश्री और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार शामिल हैं¹।