महानदी जल विवाद: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच विवाद गहराया

रायपुर,22 मार्च 2025। महानदी के पानी पर अधिकार जमाने के लिए छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच विवाद गहराया हुआ है। इस विवाद का निराकरण अभी तक नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार ने कलमा और साराडीह बैराज बनाकर उद्योगों को पानी देने का एग्रीमेंट कर लिया है। इन दोनों बैराजों से प्रतिवर्ष 166 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सात उद्योगों को दिया जाता है।

इन उद्योगों में डीबी पावर लिमिटेड, अडाणी पावर, जेएसडब्ल्यू स्टील व जिंदल पावर लिमिटेड शामिल हैं, जिन्हें कलमा बैराज से पानी दिया जा रहा है। जबकि आरकेएम पावरजेन, एसकेएस पावर और एनटीपीसी लारा को साराडीह बैराज से पानी दिया जा रहा है। इन उद्योगों को पानी देने के बदले जलकर राशि देनी होती है, लेकिन छह उद्योगों पर करीब 66.68 करोड़ रुपए का जलकर बकाया है।

ओडिशा सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ ने बैराज बनाकर लोगों को पेयजल और किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं दी, बल्कि उद्योगों को पानी आपूर्ति की। इसके कारण ओडिशा की ओर महानदी में पानी का बहाव कम हो गया है। गर्मियों में महानदी में पानी का बहाव तकरीबन रुक जाता है, जिसका असर ओडिशा के कई जिलों पर पड़ता है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की ज्वाइंट कमेटी ने कलमा बैराज, साराडीह बैराज और केलो डैम का निरीक्षण किया है। जल संसाधन विभाग ने सिंचाई परियोजनाओं पर उतना ध्यान नहीं दिया, जितना उद्योगों को पानी देने में। सिंचाई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार आम बात है। कलमा बैराज और साराडीह बैराज में भी गड़बड़ी हुई है। जल संसाधन विभाग को जलकर की अरबों रुपए की बकाया राशि उद्योगों से लेनी है, लेकिन विभाग इसे वसूल पाने में नाकाम रहा है।