कोरबा/दीपका, 22 मार्च (वेदांत समाचार)। बंशी दास महंत और राजेश जायसवाल के नेतृत्व में एस.ई.सी.एल. दीपका क्षेत्र के भू-विस्थापित प्रभावित रहवासियों ने अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर एक बड़े आंदोलन की घोषणा की है। यह महाआंदोलन 27 मार्च 2025, गुरुवार को आयोजित किया जाएगा, जिसमें दीपका कोयला खदान को बंद करने और महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव करने की योजना है। आंदोलनकारियों ने प्रशासन और प्रबंधन से अनुमति और उचित व्यवस्था की मांग की है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें 5 दिनों के भीतर पूरी नहीं की गईं, तो वे निर्धारित तिथि पर खदान का संचालन ठप कर देंगे और कार्यालय का घेराव करेंगे। इस दौरान होने वाली किसी भी क्षति की जिम्मेदारी एस.ई.सी.एल. प्रबंधन और शासन-प्रशासन पर होगी।
आंदोलन के प्रमुख कारण और मांगें –
आंदोलनकारी अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत हैं। इनमें शामिल हैं:
रोजगार की मांग कलिंगा और अन्य निजी कंपनियों में 75 भू-विस्थापितों, उनके आश्रितों और स्थानीय लोगों को तत्काल रोजगार देने की मांग। महिलाओं के लिए रोजगार एस.ई.सी.एल. में भू-विस्थापितों, आश्रितों और क्षेत्रीय महिलाओं को 50 रोजगार हिस्सेदारी।उचित मजदूरी: दीपका क्षेत्र के सभी ठेका मजदूरों और सफाई कर्मियों को उचित मजदूरी दर से भुगतान।टेंडर में प्राथमिकता: भू-विस्थापितों और आश्रितों को 50त्न टेंडर में प्राथमिकता।ड्राइवरों का भुगतान: जय अम्बे रोड लाइंस कंपनी के ड्राइवरों को एच.पी.सी. दर से भुगतान।कंपनी कर्मियों का भुगतान: के.सी.सी. प्राइवेट कंपनी के सुपरवाइजर, हेल्पर और मिस्त्रियों को एच.पी.सी. दर से भुगतान। सामाजिक सुरक्षा: सभी निजी कंपनियों और ठेका मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था।मुआवजा और नापी ग्राम मालगांव में मकानों की शेष नापी पूरी करने और मुआवजा राशि तुरंत देने की मांग। प्रदूषण मुक्ति: गौरवपथ से भारी कोल परिचालन बंद कर विजयनगर बायपास रोड के माध्यम से संचालन सुनिश्चित करने की मांग, ताकि प्रदूषण और यातायात की समस्या से निजात मिले।
आंदोलनकारियों का बयान नेतृत्वकर्ता बंशी दास महंत और राजेश जायसवाल ने कहा, हमारी मांगें लंबे समय से अनसुनी की जा रही हैं। भू-विस्थापितों और प्रभावितों के हक के लिए यह आंदोलन अब अपरिहार्य हो गया है। यदि प्रबंधन और प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो 27 मार्च को दीपका में बड़ा जनाक्रोश देखने को मिलेगा।प्रबंधन और प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार एस.ई.सी.एल. प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक इस आंदोलन और मांगों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। आगामी दिनों में स्थिति पर नजर रखी जाएगी, क्योंकि यह आंदोलन क्षेत्र में तनाव और उत्पादन पर असर डाल सकता है। यह आंदोलन न केवल भू-विस्थापितों की समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि कोयला खनन क्षेत्र में रोजगार, प्रदूषण और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर भी सवाल खड़े करता है।