- भक्त की भक्ति के आगे हार जाते हैं भगवान ,दान में मिले दो पग भूमि में ही त्रिलोक नाप चुके भगवान वामन तीसरा पग अपने सिर पर धारण करवा दान को महान बनाने वाले बली को पाताल लोक का राजा बना खुद बन गए पहरेदार – पं.मुकेश मिश्रा
कोरबा, 26 अप्रैल। हमें अपना सर्वस्व जीवन प्रभु की भक्ति में लगाना चाहिए । ताकि जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आने पर हमारा आत्मविश्वास कमजोर पड़े ,हम धर्म कर्म से विमुख न हों। जिस प्रकार दैत्य राजा बलि ने भगवान वामन को तीन पग भूमि दान करने के उपरांत दो पग में ही नारायण स्वरूपा भगवान वामन द्वारा संपूर्ण त्रिलोक नाप देने के बावजूद अपना धैर्य न खोते हुए तीसरे पग के रूप में खुद को भगवान वामन के श्री चरणों में समर्पित कर न केवल अपने वचन पूर्णता की लाज रख ली वरन भक्त वत्सल भगवान वामन की कृपा से पाताल लोक का राजा बन गए।और भगवान नारायण स्वयं उनके द्वारपाल बन गए।

उक्त बातें लिंगेश्वरधाम नवागढ़ में कथा व्यास पं.मुकेश मिश्रा ने करतला विकासखण्ड के ग्राम पंचायत सलिहाभांठा में मातृशक्तियों एवं ग्रामवासियों की सहभागिता से आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवें दिवस आयोजित वामन अवतार कथा प्रसंग के दौरान कही। शैलेन्द्र जायसवाल का 8 वर्षीय पुत्र रेयांश जायसवाल भगवान वामन बने। जिनकी वेशभूषा अत्यंत रमणीय लग रही थी। कथा स्थल पर भगवान वामन के आगमन पर प्रमुख यजमानों समेत अन्य श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर आशीष लिया।
आचार्य श्री मिश्रा ने समुद्र मंथन की कथा प्रसंग का श्रोताओं को श्रवण कराते हुए बताया कि किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत हमें प्रथम पूज्य श्री गणेश की आराधना से करनी चाहिए अन्यथा हमें जिस तरह समुद्र मंथन में देव -दानवों को गणपति जी के कोपभाजन से मदरांचल पर्वत के रूप दिक्कतों से जूझना पड़ा था ठीक उसी तरह की कठिनाइयों से जूझना पड़ सकता है।

व्यास पीठासीन आचार्य श्री मिश्रा ने समुद्रमंथन से निकले हालाहल विष का भगवान देवादिदेव महादेव द्वारा जगतकल्याण निमित्त कंठ में धारण करने की कथा का बहुत ही प्रभावपूर्ण तरीके से श्रवण कराया।आचार्य श्री मिश्रा ने श्रोताओं को बताया कि अमंगलसूचकों को धारण करने के बाद भी भगवान भोलेनाथ का माँ भवानी से पाणिग्रहण करने पर सारे अमंगलसूचक मंगल में बदल गए ।
शनिवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। कथा स्थल पर नयनाभिराम झांकी निकाली गई ।
चंद्रशेखर उइके का 6 माह का नन्हा बेटा कृष्णा कृष्ण बने तो वहीं शैलेन्द्र जायसवाल वासुदेव बने। दोनों की वेशभूषा ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा स्थल पर जैसे ही वासुदेव जी टोकरी में बाल कान्हा को लेकर वृंदावन रूपी पंडाल पर पहुंचे पुष्प वर्षा के साथ अभिनंदन किया गया। श्रोतागण झूम उठे।

गौरतलब हो कि मातृशक्तियों द्वारा शासन द्वारा प्रदान की जा रही महतारी वंदन की आर्थिक प्रोत्साहन राशि एवं ग्रामवासियों की सहभागिता से पुनीत संगीतमय श्रीमद भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जो अपने आप मे प्रेरणादायक है। आज के समय में लोग अपने खाते से 100 रुपए देने में भी सोंचते हैं वहीं इस ग्राम की मातृशक्तियों ने अपने -अपने एक एक माह की प्रोत्साहन राशि देकर ग्रामवासियों के सहयोग से पुनीत आयोजन संपन्न करा रही हैं। 27 को बाल लीला, 28 अप्रैल को कृष्ण रुक्मणी विवाह 29 अप्रैल को सुदामा चरित्र के साथ कथा विश्राम होगा। 30 अप्रैल को तुलसी वर्षा,हवन ,सहस्त्रधारा व ब्राम्हण भोज के साथ उक्त पुनीत धार्मिक आयोजन का समापन होगा। कथा श्रवण करने भागवत कथा प्रेमियों का उत्साह देखते ही बन रहा है। न केवल ग्रामवासी अपितु निकटस्थ ग्राम के भागवत कथा प्रेमी भी भागवत कथा का श्रवण कर अपना जीवन धन्य बना रहे।