Vedant Samachar

KORBA NEWS:पर्यावरण संरक्षण के लिए होगा काम, इस वर्ष लगेंगे 2.22 लाख पौधे जिले में…

Vedant samachar
4 Min Read
वन विभाग की नर्सरियों में हुई तैयारी, अभियान होगा जल्द शुरू

कोरबा,01जून 2025(वेदांत समाचार)। समय से पहले मानसून के आहट ने कृषि के साथ-साथ पर्यावरण को लेकर सकारात्मक संदेश दिया है। औद्योगिक जिले कोरबा में प्रदूषण की समस्या को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण संतुलन को लेकर काम करने की मानसिकता बनाई गई है। वन विभाग ने तय किया है कि इस वर्ष 2 लाख 22 हजार 312 पौधे जिले में लगाए जाएंगे। विभाग की नर्सरी में ये पौधे तैयार किए गए हैं। जन भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया जाएगा।

कोरबा वनमंडल में वृहद स्तर पर पौधे लगाने की तैयारी की जा रही है। एसडीओ फारेस्ट आशीष खेलवार ने बताया कि 76 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सामान्य प्रजाति के अलावा व्यवसायिक और औषधि महत्व के 81 हजार 312 पौधे लगाने का लक्ष्य है। केंद्रीय सहित अन्य रोपणियों में ऐसे पौधों को तैयार करने का काम काफी समय पहले शुरू किया गया था जो अगले चरण के लिए तैयार हो गए हैं। निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत नियत स्थल पर बीज लगाए गए और इसकी प्रोसेसिंग की गई। इस बात का ख्याल रखा गया है कि पर्यावरण संतुलन के लिए इन पौधों की आगे चलकर महत्ता साबित हो। अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से लक्ष्य का निर्धारण किया गया है। अभियान को व्यापक बनाने के लिए वन विभाग पूरी कोशिश में लगा हुआ है।

जबकि कटघोरा वनमंडल ने अपने विभिन्न परिक्षेत्रों में 1 लाख 41 हजारपौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। सागौन, आम, नीम, जामुन के साथ-साथ छायादार व फूलदार पौधे की श्रृंखला इसमें शामिल है। वनमंडलाधिकारी निशांत कुमार ने बताया कि वनमंडल क्षेत्र में उपलब्ध अधोसंरचना में पौधों को तैयार किया गया है। पौधारोपण को लेकर इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि जन स्वास्थ्य और जनजीवन के लिए ये पौधे अपनी उपयोगिता को गुणात्मक रूप से साबित करे। पिछले वर्षों में वनमंडल में बड़ी संख्या में पौधे लगाए गए हैं। डीएफओ ने बताया कि प्लांटेशन का काम कैंपा मद से किया जाएगा।

समय के साथ बढ़ती गई प्रदूषण की समस्या


कोरबा जिले की पहचान उद्योगों से है। 1950 के बाद जिले में पावर सेक्टर और फिर उसके बाद कोल सेक्टर का प्रवेश हुआ। कालांतर में एल्यूमिनियम की उपयोग दर्ज हुई। बीते 7 दशक में इसी श्रेणी के उद्योगों की स्थापना जिले में हुई। इससे उत्पादन के साथ रोजगार के अवसर बढ़े और साथ ही बढ़ती चली गई प्रदूषण की समस्या। इस वजह से जन स्वास्थ्य के सामने चुनौतियां पैदा हुई। काफी संख्या में लोग कोल डस्ट, फ्लाई ऐश और चिमनी से निकलने वाले कणों की चपेट में आने के साथ श्वसन से जुड़ी बीमारियों की जद में आ गए। इस पर लोगों का काफी रूपया खर्च हो रहा है। सरकारी और पब्लिक सेक्टर से जुड़े लोगों की बात छोड़ दें तो जन सामान्य को अपनी जेब समाधान को लेकर खोलनी पड़ रही है। पर्यावरण संरक्षण के साथ लोगों के मुद्दों को हल करने की भी जरूरत है।

Share This Article