कोरबा,31मई 2025(वेदांत समाचार)। शहरी क्षेत्र में 30 और ग्रामीण क्षेत्र में 10 या इससे कम की संख्या होने पर स्कूलों का समायोजन एक निर्धारित दूरी में संचालित हो रहे स्कूल में किया जा रहा है। यही व्यवस्था शिक्षकों के मामले में है। वहीं ऐसे स्कूल जहां पर शिक्षक ज्यादा हैं, उन्हें दूसरे स्कूलों में पदस्थ कर अनुपात को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है। युक्तियुक्तकरण के सिलसिले में काउंसिलिंग आज से शुरू हुई। अनेक शिक्षक इस बात पर भडक़े कि एकल शिक्षकों वालें स्कूल को गोपनीय रखा गया है।
उन्होंने काउंसिलिंग की प्रक्रिया के दौरान कई प्रकार के आरोप लगाए। उनका कहना है कि पूरे मामले में पारदर्शिता का साफतौर पर अभाव बना हुआ है, सभी चीजों को खुला हुआ रखना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। विभिन्न विकासखंडों में कई नाम गायब करने की बात शिक्षकों के द्वारा की जा रही है। कोरबा जिले में शासन के निर्देशानुसार विद्यालयो का युक्तियुकरण के तहत समायोजन किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा राजीव गांधी आडिटोरियम ट्रांसपोर्ट नगर में प्राथमिक शाला के अतिशेष शिक्षकों (प्रधान पाठक/सहायक शिक्षक) का कांउसलिंग आज 31 मई को प्रात: 9 बजे से प्रारंभ हुआ।यहां काउंसलिंग के लिए पहुंचे शिक्षकों में उस वक्त नाराजगी दौड़ पड़ी जब उन्हें पता चला कि युक्तियुक्तकरण के कार्य में पारदर्शिता का पूर्ण रूप से अभाव बना हुआ है। अपने हिसाब से काम किया जा रहा है। अतिशेष शिक्षकों की सूची तो जारी कर दी गई है लेकिन रिक्त विद्यालयों के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है। आरोप यह भी है कि जो सूची पहले अपलोड की गई थी उसे आधी रात दूसरी सूची जारी कर उसमें कुछ नाम को बदल दिया गया है, कुछ नाम हटा दिए गए हैं। इस तरह से जारी सूची ही दूषित हो गई है और इसमें भेदभाव बरतने के साथ-साथ मनमानी की जा रही है। इस युक्तियुक्तकरण के विरोध में शिक्षकों का संगठन भी सामने आ गया है।
शिक्षा विभाग में व्यापक पैमाने पर मनमानी और गड़बड़ी की जा रही है। इससे पहले भी सहायक शिक्षकों की पदोन्नति के समय भी व्यापक गड़बडिय़ां सामने आई थी और मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा था। सूत्रों के मुताबिक अभी युक्ति युक्त कारण के कार्य में जमकर लेन-देन और अपने-अपने लोगों को उपकृत करने का खेल खेले जाने की भी चर्चा महकमे में खूब चल रही है।
खबर के अनुसार युक्तियुक्तकरण से 393 स्कूल प्रभावित हो रहे हैं और इससे कहीं ज्यादा शिक्षक। सरकार के निर्देश पर जो फार्मूला तय किया गया है उसके हिसाब से शिक्षा विभाग यहां काम कर रहा है। कई शिक्षकों का कहना है कि समायोजित किए जा रहे अनेक स्कूलों में वर्षों से प्रधानपाठक पद पर काम कर रहे कर्मी अब दूसरे स्कूलों में निचले दर्जे पर पदस्थ किए जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि नई संस्था में उनके जूनियर उपर रहेंगे, इससे वरिष्ठता का नियम बाधित हो रहा है। इसका समाधान करने के लिए मांग की गई लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई नहीं की जा रही है। अपने लोगों को सही जगह सेटल किया जा रहा है।