कोरबा,31मई 2025(वेदांत समाचार)। कोरबा वनमंडल के अंतर्गत कनकी ग्राम में शुक्रवार रात 10 बजे एक अत्यंत विषैला साँप — रसेल वाइपर — देखे जाने की सूचना पर एक त्वरित और समन्वित रेस्क्यू अभियान चलाया गया। ग्रामवासियों की सतर्कता और वन विभाग की सजगता के चलते यह अभियान न केवल सफल रहा, बल्कि यह घटना एक आदर्श उदाहरण बन गई कि कैसे विज्ञान, जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष को टाला जा सकता है।
रेस्क्यू अभियान
इस रेस्क्यू को उप वनमंडलाधिकारी आशिष खेलवार के निर्देशन में नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के वरिष्ठ रेस्क्यूअर जितेन्द्र सारथी एवं राजू बर्मन ने अंजाम दिया। उन्होंने बिना समय गवाए मौके पर पहुंचकर पहले भीड़ को दूर किया और उसके पश्चात सभी आवश्यक वैज्ञानिक रेस्क्यू प्रोटोकॉल और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए साँप को शांतिपूर्वक पकड़ा और सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया।
रसेल वाइपर के बारे में
रसेल वाइपर, जिसे भारत के चार सबसे विषैले साँपों में शामिल किया गया है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रजाति है। इसका ज़हर हैमोटॉक्सिक होता है, जो रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और समय पर इलाज न होने पर जानलेवा हो सकता है। लेकिन इसके दंश का इलाज संभव है, और यही वजह है कि इस प्रजाति के ज़हर का उपयोग भारत में पॉलीवेलेंट एंटी-स्नेक वेनम के निर्माण में किया जाता है।
ग्रामीणों को जागरूक किया गया
सारथी ने ग्रामीणों को साँप की पहचान, उसके व्यवहार और उससे बचाव के तरीकों पर सरल भाषा में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रसेल वाइपर जैसी प्रजातियाँ चूहों को नियंत्रित कर कृषि जैव संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं। इस तरह के साँप खेतों में कीटनाशकों की आवश्यकता को भी अप्रत्यक्ष रूप से कम करते हैं।
वन विभाग का संदेश
वन विभाग ने भी एक सकारात्मक संदेश दिया, जिसमें कहा गया कि साँपों या अन्य वन्यजीवों को देखकर घबराने की बजाय, उन्हें समझना और सुरक्षित ढंग से बचाना अधिक महत्वपूर्ण है। SDO आशिष खेलवार ने कहा कि “वन्यजीवों से सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा देना हमारी ज़िम्मेदारी है। यह रेस्क्यू केवल एक जान बचाने की घटना नहीं, बल्कि पर्यावरण के साथ तालमेल की दिशा में एक बड़ा कदम है।”