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KORBA NEWS:किताबें आज भी हमारे सबसे सच्चे-अच्छे और विश्वसनीय मित्र हैं, लोगों से उनकी मित्रता बढ़ाएं: डाॅ शालिनी शुक्ला

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0 कमला नेहरु महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विषय पर व्याख्यान आयोजित, अटल विश्वविद्यालय बिलासपुर की लाइब्रेरियन डाॅ शालिनी शुक्ला ने प्रदान किया मार्गदर्शन

कोरबा,28 मई (वेदांत समाचार)। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह नीति पुस्तकालयों को शिक्षा और शोध के केंद्र के रूप में देखती है, जो विद्यार्थियों, शिक्षकों-प्राध्यापकों और शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान और सूचना तक पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देती है। यह पाॅलिसी पुस्तकालयों को सीखने और शोध के केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास करती है, जहां विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के संसाधनों तक पहुंच सकते हैं और अपनी शिक्षा को समृद्ध कर सकते हैं।

यह बातें बुधवार को कमला नेहरु महाविद्यालय में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर की लाइब्रेरियन डाॅ शालिनी शुक्ला ने कहीं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हुए बदलावों को लेकर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विषय से संबंधित बारीकियों पर संक्षिप्त व्याख्यान दिया। डाॅ शुक्ला ने कहा कि एनईपी पुस्तकालयों को डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे छात्रों को विभिन्न भाषाओं और प्रारूपों में सामग्री तक पहुंच प्राप्त हो सके। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी फोकस किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पाठ्यक्रम अपग्रेड किया गया है, ताकि आज के विद्यार्थियों को वर्तमान दौर के अनुरुप विकसित शिक्षा से जोड़ा जा सके। पुस्तकालय में सूचना विज्ञान की शक्ति शामिल कर उसकी शिक्षा अपगे्रड की गई और अब जरुरत है, कि सूचना विज्ञान की मदद से पुस्तकालय में बसे ज्ञान के समंुदर से हम स्वयं परिचित होकर पाठकों के ज्ञान की पिपासा को संतुष्ट करें। कमला नेहरु महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ प्रशांत बोपापुरकर के दिशा-निर्देश पर आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार पटेल व एमलिब एंड आईएससी के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


लोगों में फिर से जागृत करनी होगी किताबें पढ़ने की आदत

डाॅ शालिनी शुक्ला ने आगे कहा कि आज इंटरनेट की डिजिटल दुनिया में कुछ शब्द लिखकर सर्च करते ही कुछ पल में स्क्रीन पर होती है। निश्चित तौर पर सूचना विज्ञान ने हमारी जिंदगी को सरल किया है, पर दूसरी ओर किताबों में छुपे ज्ञान के भंडार में गोते लगाने की हमारी रुचि भी तेजी से कम हो रही है। डाॅ शुक्ला ने प्रेरित करते हुए कहा कि पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के विद्यार्थी होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि किताबें पढ़ने की आदत को पुनः जागृत करने अपना योगदान दें, क्योंकि आज भी पुस्तक ही हमारे सबसे सच्चे और विश्वसनीय मित्र कहे जाते हैं, न कि इंटरनेट को। अगर हम एक कुशल इंटरनेट यूजर नहीं हैं, तो साइबर का जाल हमें अंजाने में कई बार बड़े नुकसान उठाने विवश कर सकता है। इसलिए सूचना विज्ञान में कौशल हासिल करना भी उतना ही जरुरी है।


स्थानीय समुदाय के लिए शिक्षा व ज्ञान के केंद्र में विकसित करने पर जोर: डाॅ प्रशांत

इस अवसर पर कमला नेहरु महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ प्रशांत बोपापुरकर ने छात्र-छात्राओं को मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान को शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। यह नीति पुस्तकालयों को शिक्षण, शोध और ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखती है। पुस्तकालयों को सामुदायिक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे वे स्थानीय समुदाय के लिए शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बन सकें। लाइब्रेरियन को डिजिटल साक्षरता और सूचना विज्ञान के क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने पर जोर देती है, ताकि वे छात्रों और शिक्षकों को बेहतर तरीके से मार्गदर्शन कर सकें। छात्रों को डिजिटल साक्षरता के कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती है, ताकि वे विभिन्न प्रकार के डिजिटल संसाधनों का उपयोग कर सकें।

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