कोरबा,16 अप्रैल (वेदांत समाचार)। बखई स्कूल के बच्चों को नहीं मिल पाया पीने का पानी प्राथमिक शिक्षा को लेकर शासन प्रशासन भले ही गंभीर बना हुआ है परन्तु वास्तविकता उससे कोसों दूर है। बच्चों को पढ़ाई करने के लिए दूर न जाना पड़े इसलिए गांव में ही स्कूल खोले गए हैं। जिसका लाभ बच्चों को तो मिल रहा है लेकिन जो मूलभूत सुविधाएं उन्हें स्कूलों में मिलनी चाहिए उससे वे आज भी वंचित हैं।
जबकि एक ओर शासन बेहतर शिक्षा देने के नाम पर स्कूलों को स्वामी आत्मानंद का नाम देकर वहां लाखों के संसाधन व सुविधाएं दी जा रही हैं वहीं उसी विभाग के प्रायमरी स्कूलों के बच्चों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ता है। पीने के पानी की यह समस्या गर्मी के दिनों में काफी जटिल हो जाती है। बच्चों को तेज धूप में स्कूल से काफी दूर स्थित कुआं तक जाना पड़ता है।
यह स्थिति है पाली ब्लाक के ग्राम पंचायत पटपरा के आश्रित मोहल्ला बखई की। पांचवीं तक के इस सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए एक मात्र शिक्षक हैं। स्कूल में 23 बच्चे पढ़ाई करते हैं। स्कूल ही नहीं यह गांव भी सुविधाओं से दूर है। इस गांव तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर पहाड़ी रास्तों से होकर जाना पड़ता है।
जबकि बिंझरा से सड़क तो है लेकिन उस मार्ग से जाने पर 26 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है। अब इसे विभागीय उदासीनता कहंे या शासन की उपेक्षा। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल खुले करीब दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है इसके बाद भी इस स्कूल में न तो बाउंड्रीवाल है और न ही पीने के पानी की कोई उचित सुविधा। स्कूल की ओर से एक हैंडपंप की मांग तो की जाती रही है,
लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी है। जिसके कारण मध्यान्ह भोजन में शामिल होने वाले बच्चों को स्कूल से दूर स्थित एक किसान के खेत में बने कुआं से पानी लेने जाना पड़ता है। खाने के बाद बच्चों को थाली धोते वहां आसानी से देखा जा सकता है। नन्हें बच्चों के लिए यह स्थिति गर्मी के साथ बारिश में काफी परेशान करने वाली होती है। गांव के लोगों ने शासन प्रशासन से मांग किए हैं कि बच्चों की परेशानी को देखते हुए स्कूल परिसर में एक हैंडपंप लगाने की आवश्यकता है।