Vedant Samachar

KORBA:छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की निविदाओं में धांधली का आरोप

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कोरबा,25 अप्रैल 2025(वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विद्युत ताप संयंत्र में निविदाओं को लेकर बड़ा खेल सामने आया है। आरोप है कि निविदाएं अपने चहेते ठेकेदारों को काम प्रदाय करने के लिए रेड कार्पेट बिछाने की तर्ज पर जारी किए गए हैं।

निविदाओं में मनमानी शर्तें

निविदा EEC/Dn II/ AUPC/W/08/2024 के तहत पाड़ीमार राखड़ बांध में एप्रोच रोड बनाने के लिए निविदा जारी की गई है, जिसमें उन ठेकेदारों को वरीयता देने की बात कही गई है जिनके पास स्वयं के नाम पर गाड़ियां/पोकलेन हैं। जानकारों का मानना है कि यह शर्त नियमों और गाइडलाइंस के विरुद्ध है और सीधे तौर पर चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने का कृत्य है।

नियमों की अनदेखी

कंपनी अपनी निविदा के नियमों और शर्तों के लिए पीडब्ल्यूडी की गाइडलाइन को फॉलो करती है, लेकिन उनकी नियमावली में ऐसी कोई बात दर्ज नहीं है। इसके अलावा, निविदा में यह भी उल्लेख है कि जिन ठेकेदारों का कोई कार्य इस संभाग में समय सीमा के बाद भी लंबित होगा, उन्हें प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, जो कि तानाशाही रवैए को दर्शाता है।

अन्य निविदाओं में भी धांधली

इसी तरह की धांधली अन्य निविदाओं में भी देखने को मिली है, जैसे कि निविदा EEC/Dn II/ AU & PC/W/01/2025 में राखड़ बांध में वर्षा के कटाव को भरने का कार्य और निविदा EEC/Dn II/ AU & PC/W/02/2024 और EEC/Dn II/ AU & PC/W/03/2024 में डेंगूर नाले के पास के बायपास डब्ल्यूबीएम सड़क की मरम्मत और वर्षा पूर्व राखड़ बांध के रख रखाव के लिए सीमेंट बोरी की सप्लाई कार्य के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।

मटेरियल की व्यवस्था भी संदेह के घेरे में

इन कार्यों में मिट्टी, रेत, हाइवा, जेसीबी की भी आवश्यकता होगी। सवाल यह उठता है कि क्या इनकी भी निविदाएं निकाली गई हैं या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि इनका भी बंदरबांट कर लिया गया हो।

क्या उच्चाधिकारियों को पता है?

सवाल यह उठता है कि क्या इन विशेष शर्तों को लागू करने के लिए निविदा के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने मुख्यालय से लिखित अनुमति प्राप्त की है अथवा नहीं? या फिर कंपनी मुख्यालय में काम कराए जाने की स्वीकृति लेकर जिम्मेदार AU&PC विभाग के जिम्मेदार स्थानीय अधिकारी सिविल संभाग 2 अपने चहेतों के लिए निविदाओं में उल जुलूल शर्ते तो नहीं रख रहे हैं? और क्या कंपनी के आला अधिकारी या मुख्यालय में बैठे उच्चाधिकारियों को यह खेल समझ नहीं आ रहा या उनकी शह पर यह सब तो नहीं हो रहा?

क्या होगी जांच?

अब देखना यह है कि इन आरोपों की जांच होगी या नहीं? क्या जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? फिलहाल, इस मामले ने कंपनी की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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