नई दिल्ली ,17 मार्च 2025: अपना घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. अगर आपने कभी अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने को लेकर किसी बिल्डर या बैंक से बात की होगी तो आपने Full-EMI और Pre-EMI शब्द कई बार सुना होगा. आज हम आपको इस खबर के माध्यम से इन दोनों के बीच का अंतर बताने जा रहे हैं.
PRE-EMI, बिल्डर को लोन का पहला पेमेंट मिलते ही शुरू हो जाती है. जब आप ‘प्री-ईएमआई’ का ऑप्शन सलेक्ट करते हैं, तो प्रॉपर्टी के बनने के आधार पर लोन को कई स्टेज में बांट दिया जाता है. लेकिन आपको दिए गए अमाउंट पर ब्याज देना होगा और फूल रिपेमेंट तभी शुरू होगा जब आप प्रॉपर्टी ले लेंगे.
प्रिंसिपल और इंटरेस्ट
बता दें, ईएमआई में प्रिंसिपल और इंटरेस्ट दोनों शामिल होता है. एक बार बैंक द्वारा जब आपके बिल्डर को कप्पलीटर लोन अमाउंट डिस्बर्स नंबर दिया जाता है, तब आपकी ईएमआई शुरू होती है. वहीं, जब आप किसी प्रॉपर्टी के लिए लोन लेते हैं, उसके पजेशन के बाद मिलने वाली ईएमआई में प्रिंसिपल और इंटरेस्ट दोनों शामिल होते हैं जिसे फुल ईएमआई कहते हैं.
प्री-ईएमआई
ईएमआई पर सिंपल इंटरेस्ट लगाया जाता है. अगर आपने 50 लाख रुपए का लोन लिया है और पजेशन मिलने से पहले बिल्डर को 5 लाख रुपए मिले हैं और इंटरेस्ट रेट 7.5% है तो अब इन 5 लाख रुपए का 7.5 प्रतिशत हो जाएगा. यानी कि 37,500 रुपए. अब आप इनको 12 महीने में भाग कर आपकी मासिक EMI 3125 रुपए है.
ईएमआई किस्त
अगर 6 महीने के बाद बिल्डर को दोबारा 5 लाख रुपए का पेमेंट होता है, तो 3125 रुपए और जुड़ जाएंगे और इसकी ईएमआई 6250 रुपए हो जाएगी. आप जैसे-जैसे बिल्डर को पेमेंट करते रहेंगे तो आपकी ईएमआई किस्त में जुड़ते रहेगी.
‘प्री-ईएमआई’ का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि आपका ब्याज भुगतान ‘फुल ईएमआई’ ऑप्शन से ज़्यादा होगा. आपके मासिक भुगतान भी लंबे होंगे क्योंकि आपकी लोन अवधि आधिकारिक तौर पर तभी शुरू होगी जब आप प्रॉपर्टी ले लेंगे.
पूर्ण ईएमआई’ क्या है
‘पूर्ण EMI’ वो होती है जिसे आपको पूरी लोन राशि मिलने के बाद चुकाना होता है. इनमें ब्याज और मूल राशि दोनों शामिल होती हैं. ये EMI तब तक जारी रहती हैं जब तक लोन पूरी तरह से चुका नहीं दिया जाता. ‘पूर्ण EMI’ आमतौर पर प्रॉपर्टी का निर्माण पूरा होने और होम लोन उधारकर्ता द्वारा कब्जा लेने के बाद शुरू होती है.