- 15 से 17 अप्रैल, 2025 तक शहीद भवन, अरेरा हिल्स में आयोजित हो रहा है ‘कथक अश्वमेध- 2’
- भारत के विभिन्न राज्यों और अमेरिका, यूके सहित कई देशों से करीब 800 कलाकारों ने लिया भाग
- चयनित 30 प्रतिभागियों में से श्रेष्ठ तीन कलाकारों को विशेष पुरस्कारों से किया जाएगा सम्मानित
भोपाल, 16 अप्रैल, 2025: जब परंपरा, साधना और संस्कृति एक ही मंच पर एकत्र हों, तब वह आयोजन सिर्फ कार्यक्रम नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव का महायज्ञ बन जाता है। ऐसा ही अनुभव लेकर आ रहा है ‘कथक अश्वमेध- सीज़न 2’, जिसका भोपाल साक्षी बन रहा है। 15 से 17 अप्रैल, 2025 तक शहीद भवन, अरेरा हिल्स में आयोजित हो रहा ‘कथक अश्वमेध- 2’ नृत्य की दुनिया के उन तपस्वियों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी कला को साधना बना दिया।
‘कथक अश्वमेध- 2’ की शुरुआत एक ऑनलाइन ऑडिशन प्रक्रिया से हुई थी, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों और अमेरिका, यूके सहित कई देशों से करीब 800 कलाकारों ने भाग लिया। नृत्य की इस वैश्विक सहभागिता से चयनित 30 प्रतिभागियों को अब भोपाल बुलाया गया है, जहाँ वे मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
यह तीन दिवसीय आयोजन हर दिन एक नई ऊर्जा, नया उद्देश्य और नया रंग लिए होगा। पहले दिन सेमीफाइनल राउंड होगा, जिसमें चयनित कलाकार अपनी साधना और प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। दूसरे दिन आयोजित होने वाले ग्रैंड फिनाले में निर्णायक मंडल के समक्ष उनकी प्रस्तुतियों का मूल्यांकन होगा। इसके बाद 17 अप्रैल को समापन समारोह में श्रेष्ठ तीन कलाकारों को विशेष पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। इस दिन मंच पर कई वरिष्ठ गुरुजनों और संस्कृति सेवियों को भी उनकी सेवा के लिए आदरपूर्वक सम्मानित किया जाएगा।
‘कथक अश्वमेध’ की खासियत यह है कि यह मंच किसी भी आयु वर्ग के कथक कलाकारों के लिए खुला है, जिससे यह अनुभव और उत्साह दोनों का संगम बनता है। इस मंच की सबसे बड़ी शक्ति है इसकी गुरु-शिष्य परंपरा, जिसमें कला सिर्फ सीखी नहीं जाती, वह संस्कार बन जाती है। इस आयोजन ने युवा प्रतिभाओं को न सिर्फ विशेष पहचान दी है, बल्कि उन्हें मंच देकर प्रेरित भी किया है कि वे अपने देश की सांस्कृतिक धरोहर को आगे ले जाएँ।
आयोजन के संयोजक श्री समीर नाफडे कहते हैं, “कथक ऐसी संस्कृति है, जो हजारों वर्षों से हम सबकी पहचान है। ऐसे में, हमारा उद्देश्य सिर्फ एक प्रतियोगिता आयोजित करना नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा को सशक्त करना है, जो भारत की आत्मा में रची-बसी है। ‘कथक अश्वमेध’ कलाकारों को मंच ही नहीं, सम्मान और आत्मीयता भी देता है। निर्झर कला संस्थान द्वारा आयोजित इस महायज्ञ में, सभी कला प्रेमियों, विद्यार्थियों, नृत्य गुरुजनों और भोपालवासियों का स्वागत है।”
‘कथक अश्वमेध’ की शुरुआत एक साधारण आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प के रूप में हुई। यह स्वर्गीय डॉ. साधना नाफडे को समर्पित है, जिन्होंने कथक को न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी पहुँचाया। जयपुर और लखनऊ घराने की यह प्रतिष्ठित नृत्यांगना अमेरिका में वर्षों तक कथक की शिक्षा देकर वहाँ की धरती पर भी भारतीय संस्कृति का दीप जलाती रहीं। इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए निर्झर कला संस्थान, जो डॉ. नाफडे द्वारा 1982 में स्थापित किया गया था, आज इस आयोजन का दायित्व संभाल रहा है।
यह आयोजन पं. कुंदनलाल गंगानी जी जैसे वरिष्ठ गुरुजनों की स्मृति को भी नमन करता है, जिन्होंने कथक की आत्मा को गहराई से समझते हुए अनेक शिष्यों को दिशा दी। यही कारण है कि यह आयोजन सिर्फ प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक महायज्ञ है, जिसमें हर प्रस्तुति एक आहुति के समान होती है।