मुंबई, 16 मई 2025: सोनी सब का शो ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ पीढ़ियों के बीच अपनी भावनात्मक और जीवन से जुड़ी कहानी के कारण गहराई से जुड़ाव बना रहा है। अब इस शो में मशहूर अभिनेता गौरव चोपड़ा की एंट्री हुई है, जो प्रोफेसर राजवीर शास्त्री का किरदार निभा रहे हैं — जो एक तेज़, कटाक्ष मारने वाले और प्रभावशाली लॉ प्रोफेसर हैं। उनकी अदालत में मौजूदगी और वकालत बेहद दमदार है। जैसे-जैसे पुष्पा (करुणा पांडे) की ज़िंदगी एक नया मोड़ लेती है, प्रोफेसर शास्त्री से मुलाकात उसके भीतर एक आत्म-खोज की नई यात्रा को जन्म देती है। यह कहानी दर्शाती है कि कोई भी महिला किसी भी उम्र में अपने सपनों को फिर से जगा सकती है और एक सार्थक कॅरियर की ओर बढ़ सकती है। यह एक भावनात्मक पुनरावलोकन और अप्रत्याशित बदलाव की सशक्त कहानी है।

पुष्पा एक ऐसा उदाहरण हैं जो दिखाती हैं कि उम्र की परवाह किए बिना सपनों का पीछा किया जा सकता है। यह कहानी उन दर्शकों को क्या संदेश देती है जो यह मानते हैं कि अब उनके कॅरियर या पैशन को अपनाने में बहुत देर हो चुकी है?
“सपनों को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती” — यह बात सुनने में दार्शनिक लग सकती है, लेकिन पुष्पा इम्पॉसिबल इसे एक सच्चाई के रूप में जीकर दिखाता है। कुछ पेशों में भले ही आयु-सीमा हो, लेकिन जुनून, सीखना और आत्म-विकास की कोई उम्र नहीं होती। स्कूल लौटने से लेकर अब लॉ कॉलेज तक का पुष्पा का सफर यह साबित करता है कि अगर आपके पास दृढ़ निश्चय और सही सहयोग हो, तो बढ़ने में कभी देर नहीं होती। भले आप किसी बड़ी उपाधि तक न पहुंचें, लेकिन ज्ञान, उद्देश्य और आत्म-विश्वास की खोज कभी पुरानी नहीं होती। हम यही संदेश देना चाहते हैं: सीखने, सपने देखने और अपने लिए एक नई राह बनाने में कभी देर नहीं होती।
- क्या आप व्यक्तिगत रूप से इस विचार से जुड़ती हैं कि जीवन के किसी भी मोड़ पर उद्देश्य खोजा जा सकता है या खुद को फिर से शुरू किया जा सकता है?
हां, बिल्कुल। मैं इस विचार से पूरी तरह सहमत हूं कि जीवन के किसी भी मोड़ पर नई शुरुआत की जा सकती है। हर इंसान के भीतर एक चिंगारी होती है — कुछ सार्थक करने की इच्छा होती है। जब तक हम ज़िंदा हैं और सजग हैं, हम सीखते रहते हैं, बदलते रहते हैं। छोटे-छोटे बदलाव भी मायने रखते हैं। यही तो जीवन को रोमांचक बनाता है — खुद को बार-बार नये रूप में ढालने का अवसर। मेरे लिए, यही असली ‘जीना’ है। - एक विधि छात्रा, खास तौर पर जिंदगी के बाद के पड़ाव में पढ़ाई की ओर लौटने की इस भूमिका को प्रभावी रूप से निभाने के लिए क्या आपने विशेष तैयारियां या व्यक्तिगत शोध किया?
एक अभिनेता के रूप में मेरी जिम्मेदारी है कि मैं हर किरदार के लिए पूरी तैयारी करूं। कानून की छात्रा का किरदार, वह भी जो जीवन के इस पड़ाव पर पढ़ाई में लौट रही हो, इसके लिए समर्पण की ज़रूरत है। मैं विधि क्षेत्र की बुनियादी बातों को समझने के लिए शोध कर रही हूं। जैसे-जैसे कहानी इस दिशा में आगे बढ़ेगी, मैं विषय पर और भी पढ़ाई करूंगी ताकि यह किरदार प्रामाणिक लगे। मेरा यह भी मानना है कि हर नागरिक को कानून की कुछ समझ होनी चाहिए — यह व्यक्तिगत सशक्तिकरण के लिए ही नहीं, बल्कि एक जागरूक समाज बनाने के लिए भी ज़रूरी है। अगर इस कहानी के माध्यम से हम लोगों को कानूनी रूप से जागरूक बना पाए, तो यह बहुत सार्थक उपलब्धि होगी। - गौरव चोपड़ा जिस भी भूमिका में होते हैं, एक प्रभावशाली उपस्थिति लाते हैं। जब आपको पता चला कि वे शो में पुष्पा के मेंटर के रूप में शामिल हो रहे हैं, तब आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?
बिलकुल! जैसे ही हमें पता चला कि गौरव जी फाइनल हो चुके हैं, हम सब बहुत उत्साहित हो गए। उनकी उपस्थिति, उनकी आवाज़, उनके हाव-भाव, संवाद अदायगी — सब कुछ सीन में गहराई लाता है। एक अभिनेता के तौर पर किसी इतने प्रतिभाशाली और अनुभवी कलाकार के साथ काम करना बहुत सुखद अनुभव है। हमारी केमिस्ट्री तुरंत ही जम गई और उनके साथ शूटिंग करना बहुत अच्छा लगा। मैं आगे और दृश्यों की शूटिंग को लेकर उत्सुक हूं — पुष्पा और प्रोफेसर राजवीर की यात्रा को आगे देखने के लिए भी। वे सिर्फ एक उम्दा अभिनेता नहीं, बल्कि ऑफ-स्क्रीन एक बहुत ही जोशीले और विनम्र इंसान भी हैं। - क्या आपके निजी जीवन में भी कोई ऐसा गुरु या शिक्षक रहा है जिसने आपको आपके कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकालकर आपकी ज़िंदगी में गहरा असर डाला हो, जैसा कि अब पुष्पा के साथ हो रहा है?
कई लोगों ने मेरे व्यक्तित्व को अलग-अलग तरीकों से आकार दिया है। मेरे पिता का निस्वार्थ भाव, मां की आध्यात्मिक शक्ति, दादा-दादी, बहन, दोस्त, पति — यहां तक कि मेरे पालतू जानवरों ने भी मुझे कुछ न कुछ सिखाया है। सेट पर भी, अंशुल त्रिवेदी जैसे कलाकारों के साथ काम करना एक सीखने का अनुभव रहा है। मैं मानती हूं कि विकास तभी होता है जब हम अपने आसपास के हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखते रहें। यह एक सतत प्रक्रिया है — सीखने, भूलने और फिर खुद को नया बनाने की — जैसे पुष्पा की यात्रा। - पुष्पा की कहानी हर उम्र की महिलाओं को सशक्त बनाती है। उन दर्शकों के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगी जो खुद को उसकी कहानी में पाते हैं?
पुष्पा की कहानी ने कई ज़िंदगियों को छुआ है और मुझे लोगों की बातें सुनकर गहरा भाव मिलता है। हाल ही में, जब मैं आवारा कुत्तों को खाना खिला रही थी, एक पड़ोसी ने मुझसे कहा कि वह खुद को पुष्पा में देखती हैं — उसकी जद्दोजहद, उसका साहस — और कैसे यह शो उनके जीवन में असली बदलाव लेकर आया। ऐसे पल मुझे कहानी कहने की ताकत की याद दिलाते हैं। जो भी खुद को पुष्पा में देखता है, मैं बस इतना कहना चाहूंगी: आगे बढ़ते रहिए। आपकी उम्र या हालात जो भी हों, आप अब भी सीख सकते हैं, बदल सकते हैं और निखर सकते हैं। बदलाव को खुले दिल से स्वीकार करें, ज़मीन से जुड़े रहें, और प्रेम से नेतृत्व करें — क्योंकि यही जीवन को असली अर्थ देता है।
देखिए ‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ — हर सोमवार से शनिवार, रात 9 बजे, सिर्फ सोनी सब पर