नई दिल्ली,30 मई 2025: भारत की आर्थिक वृद्धि 2024-25 में 6.5% रही, जबकि चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी में 7.4% की शानदार वृद्धि दर्ज की गई। यह जानकारी शुक्रवार को भारतीय सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों से मिली।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5% बढ़ी, जैसा कि पहले अनुमानित था। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इसी दर की वृद्धि का अनुमान जताया था। हालांकि, 2023-24 में भारत की जीडीपी में 9.2% की बढ़ोतरी हुई, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ वृद्धि रही। इससे पहले, 2021-22 में 8.7% और 2022-23 में 7.2% की वृद्धि देखी गई थी।
वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट
वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक रिपोर्ट में बताया कि पिछले कुछ तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि की मुख्य वजह आपूर्ति पक्ष पर कृषि और सेवा क्षेत्रों की मजबूत प्रदर्शन के अलावा मांग पक्ष पर खपत और माल एवं सेवाओं के निर्यात में बढ़ोतरी रही है। जनवरी-मार्च 2024 की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 7.4% की वृद्धि दर प्राप्त की। जबकि, अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाहियों में क्रमशः 6.7%, 5.6% और 6.2% की वृद्धि रही।
स्थिर वृद्धि दर और वैश्विक भूमिका
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि भारत अगले 30 वर्षों तक दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश ने 6-7% की स्थिर वृद्धि दर बनाए रखी है और इसे अगले कुछ वर्षों में स्थिर कीमतों पर 8% तक लाने का लक्ष्य है।
विश्व बैंक का भारत के लिए लंबा लक्ष्य
विश्व बैंक ने इस फरवरी में कहा था कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के लिए अगले 22 वर्षों में औसतन 7.8% की वृद्धि की आवश्यकता होगी। इसके लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की जरूरत होगी। 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया था कि यदि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, तो उसे अगले एक या दो दशकों तक औसतन 8% की स्थिर वृद्धि दर हासिल करनी होगी।
भारत बना चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था
भारत ने एक लंबी आर्थिक यात्रा तय की है और आज यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। 2013 में भारत को ‘नाज़ुक 5’ देशों में रखा गया था, जिनकी अर्थव्यवस्थाएँ संकट में थीं। तब भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर थी, लेकिन अब भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ते हुए अपनी स्थिति को सुधार लिया है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय अभी भी अपेक्षाकृत कम है।