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Income Tax Return 2025-26 : ITR फाइलिंग प्रक्रिया शुरू, जानिए नए नियम और क्या बदलाव हुए

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नई दिल्ली,02 मई 2025। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (असेस्मेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा कर दी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ITR-1 (सहज), ITR-3 और ITR-4 (सुगम) फॉर्म्स को अधिसूचित कर दिया है, जिससे करदाताओं के लिए टैक्स फाइलिंग का रास्ता खुल गया है।
महत्वपूर्ण तारीखें

  • ITR फाइलिंग शुरू: 1 अप्रैल 2025 से।
  • अंतिम तारीख (गैर-ऑडिट करदाता): 31 जुलाई 2025।
  • बिलेटेड रिटर्न: 31 दिसंबर 2025 तक, लेकिन जुर्माना और ब्याज के साथ।
  • संशोधित रिटर्न: 31 दिसंबर 2025 तक।
  • अपडेटेड रिटर्न (ITR-U): 31 मार्च 2029 तक, अतिरिक्त कर के साथ।
    नए नियम और बदलाव
  1. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर राहत: ITR-1 और ITR-4 का उपयोग अब 1.25 लाख रुपये तक के LTCG (धारा 112A के तहत) वाले करदाता भी कर सकते हैं, बशर्ते कोई कैपिटल लॉस न हो। पहले इसके लिए जटिल ITR-2 फॉर्म भरना पड़ता था। यह छोटे निवेशकों और वेतनभोगियों के लिए राहतकारी है।
  2. नया टैक्स स्लैब और छूट: नए टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये तक की आय कर-मुक्त होगी, क्योंकि छूट सीमा 60,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है। पुराने रिजीम में छूट 12,500 रुपये तक है।
  3. वेतनभोगियों के लिए बढ़ा स्टैंडर्ड डिडक्शन: नए रिजीम में वेतन आय के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया गया है।
  4. फैमिली पेंशन छूट: नए रिजीम में फैमिली पेंशन की छूट सीमा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई है।
  5. कैपिटल गेन टैक्स रेट में बदलाव: 23 जुलाई 2024 के बाद किए गए लेनदेन के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15% से बढ़कर 20% और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10% से बढ़कर 12.5% हो गया है।
  6. अपडेटेड रिटर्न की समय सीमा बढ़ी: बजट 2025 में अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल करने की समय सीमा 2 साल से बढ़ाकर 4 साल कर दी गई है। उदाहरण के लिए, AY 2025-26 के लिए ITR-U 31 मार्च 2029 तक दाखिल किया जा सकता है, लेकिन 12-48 महीनों के आधार पर 25-70% अतिरिक्त कर देना होगा।
  7. TCS और TDS में बदलाव: अप्रैल 2025 से धारा 206AB और 206CCA को हटा दिया जाएगा, जिससे TDS/TCS अनुपालन आसान होगा।
    जुर्माना और ब्याज
  • 31 जुलाई 2025 के बाद ITR दाखिल करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। अगर कुल आय 5 लाख रुपये से कम है, तो जुर्माना 1,000 रुपये होगा।
  • बकाया कर पर धारा 234A के तहत 1% मासिक ब्याज देना होगा।
  • देर से फाइलिंग करने पर नुकसान को आगे ले जाने (जैसे स्टॉक मार्केट या प्रॉपर्टी से नुकसान) की सुविधा नहीं मिलेगी, सिवाय हाउस प्रॉपर्टी के नुकसान के।
    ITR फॉर्म्स का उपयोग
    •ITR-1 (सहज): 50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों, HUF और फर्मों (LLP को छोड़कर) के लिए, जिनकी आय वेतन, एक मकान, पेंशन, ब्याज, डिविडेंड या 1.25 लाख तक के LTCG से है।
    •ITR-3: व्यवसाय या पेशे से आय वाले व्यक्तियों और HUF के लिए, जैसे डॉक्टर, वकील आदि।
    •ITR-4 (सुगम): 50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों, HUF और फर्मों के लिए, जो प्रीजम्प्टिव टैक्सेशन का विकल्प चुनते हैं।
    फाइलिंग प्रक्रिया
  1. आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें (PAN/आधार और पासवर्ड के साथ)।
  2. ‘फाइल इनकम टैक्स रिटर्न’ चुनें और AY 2025-26 सिलेक्ट करें।
  3. आय के स्रोत के आधार पर सही ITR फॉर्म चुनें।
  4. फॉर्म 26AS, AIS और अन्य दस्तावेजों से ऑटो-फिल डेटा की जांच करें।
  5. आय, छूट और कटौती की जानकारी भरें।
  6. आधार OTP, नेट बैंकिंग या डिजिटल हस्ताक्षर से ई-वेरिफिकेशन करें।
  7. ITR-V (पावती) डाउनलोड करें और भविष्य के लिए सुरक्षित रखें।
    जरूरी दस्तावेज
    •फॉर्म 16 (वेतन और TDS विवरण)
    •फॉर्म 26AS और AIS (TDS/TCS और अन्य आय का विवरण)
    •बैंक खाता विवरण (रिफंड के लिए)
    •निवेश और कटौती के प्रमाण (PPF, LIC, 80C, 80D आदि)
    किन्हें ITR दाखिल करना जरूरी?
भले ही आय मूल छूट सीमा से कम हो, निम्नलिखित मामलों में ITR दाखिल करना अनिवार्य है:
    •यदि बैंक के चालू खाते में 1 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए गए हों।
    •बचत खाते में 50 लाख रुपये से अधिक जमा हों।
    •विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से अधिक खर्च किए हों।
    •बिजली बिल 1 लाख रुपये से अधिक हो।
    •TDS/TCS 25,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये) से अधिक हो।
    सलाह
    
करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे समय पर ITR दाखिल करें ताकि जुर्माने और ब्याज से बचा जा सके। गलतियों से बचने के लिए प्री-फिल्ड डेटा की सावधानीपूर्वक जांच करें। यदि आय या कटौती जटिल हैं, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लें।
    आयकर विभाग का कहना है कि ये बदलाव करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए किए गए हैं। समय पर और सटीक फाइलिंग से न केवल कानूनी दायित्व पूरे होते हैं, बल्कि यह वित्तीय नियोजन में भी मदद करता है।

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