जेनरिक दवाओं को लेकर लोगों में खासी भ्रांतियां हैं. जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से सस्ती होती हैं. जिसके चलते लोगों को लगता है कि ये दवाएं बीमारी में उतना प्रभावी तरीके से काम नहीं करतीं, जितना ब्रांडेड दवाएं करती हैं. जबकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऐसा नहीं है. अगर ऐसा होता तो सरकार जेनरिक दवाओं को प्रमोट क्यों करती. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जेनरिक दवाएं होती क्या हैं. ये किन बीमारियों में अच्छा असर कर सकती है. इसको जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से बातचीत की है.
गाजियाबाद के एसीएमओ डॉ. अमित विक्रम बताते हैं कि कोई भी दवा कंपनी व्यापक शोध और परीक्षण के बाद नई दवा विकसित करती है. जिसका वह पेंटेट लेती है. जब पेटेंट की समयावधि समाप्त हो जाती है तो दूसरी कंपनियां भी उस दवा को बनाने लगती हैं. जबकि जेनरिक दवा बनाने के लिए दोबारा से शोध या परीक्षण की जरूरत बहुत कम होती है. जिसके कारण शोध या परीक्षण का खर्च नहीं होता और इसलिए जेनरिक दवा सस्ती होती है. हालांकि दोनों की पैकिंग जरूर अलग हो सकती है. ब्रांडेड दवाओं की पैकिंग जेनेरिक की तुलना में ज्यादा अच्छी होती है.
कई बीमारियों में है कारगर जेनरिक दवाएं
देश में हजारों की संख्या में विभिन्न बीमारियों के लिए जेनरिक दवाएं उपलब्ध हैं. एक बेहतर चलने वाले मेडिकल स्टोर पर इनमें से 500 से 700 जेनरिक दवाएं उपलब्ध होती हैं. मेडिकल स्टोर संचालक क्षेत्र की डिमांड के अनुसार ही दवाएं रखते हैं. जेनरिक दवाओं का प्रभाव लगभग ब्रांडेड दवाओं के समान ही होता है. क्योंकि इनमें सॉल्ट एक जैसा ही होता है. जेनरिक दवाएं लगभग सभी छोटी बड़ी बीमारियों के लिए प्रभावी हैं. उनकी पोटेंसी भी लगभग समान ही होती है.
सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को भी निर्देश हैं कि यदि अस्पताल में कोई दवा उपलब्ध नहीं है तो वह उसकी जेनरिक दवा मरीज को लिख सकते हैं. डॉ. अमित विक्रम के अनुसार केवल जो दवाएं विदेश से आयात होती हैं, उनका जेनरिक वर्जन फिलहाल नहीं है. बाकी हर दवाओं के मौजूद हैं, हालांकि कुछ डॉक्टर कैंसर और हार्ट डिजीज में जेनिरिक की जगह ब्रांडेड दवाओं पर ज्यादा भरोसा करते हैं, लेकिन इसका कोई खास प्रमाण नहीं है. लेकिन इन बीमारियों में जेनेरिक दवाओं का यूज काफी कम है.
छोटी बीमारियों में ज्यादा कारगर
बुखार, जुकाम, एसिडिटी, शरीर या पेट दर्द की ही नहीं बल्कि बहुत सी एंटीबायोटिक दवाएं भी जेनरिक में उपलब्ध हैं और कारगर हैं. सर्जरी के बाद दी जाने वाली बहुत सी दवाएं भी जेनरिक में उपलब्ध हैं. जो लोग ब्रांडेड दवाएं नहीं खरीद सकते उनके लिए सस्ती दर पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध हैं. कई कंपनियां जेनरिक दवाएं बनाती हैं. बहुत सी कंपनियों ने मिलकर जेनरिक दवाओं के मेडिकल स्टोर तक खोल रखे हैं. जेनरिक दवाओं को लेकर जो अविश्वास है, वह उनकी कीमत के कारण हो सकता है, जबकि उनकी क्षमता लगभगब्रांडेडदवाओं के समान ही होती है.