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3 साल में पीएम मोदी की 38 विदेश यात्राओं पर 258 करोड़ रुपये खर्च, संसद में पेश हुई पूरी रिपोर्ट

Lalima Shukla
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर विभिन्न देशों की यात्राएं करते रहते हैं. हाल ही में वे मॉरीशस और अमेरिका दौरे पर गए थे. उनके इन विदेश दौरों से जुड़ी खर्च की जानकारी संसद में पूछी गई थी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह सवाल उठाया था, जिसमें उन्होंने पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था. इस पर विदेश राज्य मंत्री पवित्रा मार्गेरिटा ने गुरुवार को राज्यसभा में लिखित जवाब प्रस्तुत किया.

विदेश दौरों के खर्च का विवरण

विदेश राज्य मंत्री पवित्रा मार्गेरिटा के अनुसार, मई 2022 से दिसंबर 2024 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुल 38 विदेश यात्राओं पर करीब ₹258 करोड़ खर्च हुए. इन खर्चों में होटल में ठहरने, सामुदायिक स्वागत, परिवहन और अन्य संबंधित खर्च शामिल हैं. साथ ही, सुरक्षा और मीडिया प्रतिनिधिमंडलों पर भी खर्च किया गया.

अमेरिका दौरे पर 22 करोड़ रुपये खर्च

सरकार द्वारा प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, जून 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा पर ₹22,89,68,509 खर्च हुए थे, जबकि सितंबर 2024 में अमेरिका की यात्रा पर ₹15,33,76,348 रुपये खर्च किए गए थे. इस प्रकार, केवल अमेरिका दौरों पर कुल ₹38 करोड़ से अधिक खर्च हुआ.

अन्य प्रमुख विदेश यात्राओं का खर्च

  • मई 2023 – जापान यात्रा: ₹17,19,33,356 खर्च
  • मई 2022 – नेपाल यात्रा: ₹80,01,483 खर्च
  • 2024 – पोलैंड यात्रा: ₹10,10,18,686 खर्च
  • 2024 – यूक्रेन यात्रा: ₹2,52,01,169 खर्च
  • 2024 – रूस यात्रा: ₹5,34,71,726 खर्च
  • 2024 – इटली यात्रा: ₹14,36,55,289 खर्च
  • 2024 – ब्राजील यात्रा: ₹5,51,86,592 खर्च
  • 2024 – गुयाना यात्रा: ₹5,45,91,495 खर्च

किन देशों का दौरा किया पीएम मोदी ने?

2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी, डेनमार्क, फ्रांस, यूएई, उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया का दौरा किया. 2023 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस जैसे देशों की यात्रा की. 2024 में उनकी विदेश यात्राओं में पोलैंड, यूक्रेन, रूस, इटली, ब्राजील और गुयाना शामिल रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं पर सरकार द्वारा किए गए खर्च को लेकर संसद में चर्चा हुई, जिसमें विस्तृत जानकारी पेश की गई. यह खर्च राजनयिक संबंधों को मजबूत करने, निवेश आकर्षित करने और वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति दर्ज कराने से संबंधित रहा है. हालांकि, विपक्ष द्वारा इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इतनी बड़ी धनराशि इन यात्राओं पर खर्च करना कितना उचित है.

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