मित्रता करनी हो तो श्री कृष्ण से सीखें करें, जिन्होंने दो मुट्ठी चावल के बदले सुदामा को दो लोक का स्वामी बना दिया – पंडित श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री

0 भागवत अभय प्रदान करती है ,परीक्षित ने मृत्यु से पूर्व परमात्म को प्राप्त कर लिया -पंडित श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री।

0 पं.रविशंकर शुक्ल नगर कपिलेश्वरनाथ मंदिर प्रांगण में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में सातवें दिन बरसाना की तरह खेली गई फूलों की होली ,झूमे श्रोता

कोरबा, 24 मार्च (वेदांत समाचार)। हमें जीवन में मित्रता करनी हो तो श्री कृष्ण सुदामा जी की तरह करनी चाहिए। जहाँ परब्रम्ह के ज्ञानी परम भक्त सुदामा आजीवन श्री भक्ति में लीन रहे तो वहीं श्री कृष्ण ने दो मुट्ठी चावल के बदले सुदामा को दो लोक का स्वामी बना जगत में सच्ची मित्रता की मिसाल पेश की। सुदामा जी की संगिनी सुशीला थीं जो शुभता का प्रतीक हैं ,जो शुभ कर्म करता है वो द्वारिकाधीश अर्थात परप्रबम्ह को प्राप्त कर लेता है।सुदामा जी को इन्हीं शुभ कर्मों की वजह से परब्रम्ह की प्राप्ति हुई।

उक्त बातें श्री धाम वृंदावन (मथुरा)से पधारे पंडित श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री “ब्रजवासी जी पंडित रविशंकर शुक्लनगर स्थित कपिलेश्वरनाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित संगीतमय श्री मद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सातवें दिवस शनिवार को आयोजित सुदामा चरित्र कथा प्रसंग के दौरान कही।


आचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं को आगे कथा श्रवण कराते हुए बताया कि भागवत अभय प्रदान करती है। भागवत कथा से ही राजा परीक्षित ने तक्षक नाग के डसे जाने के 7 दिन के भीतर मृत्यु का श्राप मिलने के बाद भागवत कथा के श्रवण से परमात्म को प्राप्त कर गए ,केवल उनके देह को ही तक्षक ने डसा। आचार्य श्री गौड़ शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं को बताया कि देवकी -वासुदेव को पूर्व जन्म अदिति कश्यप के रूप में वरुण देव से यज्ञ के नाम पर लिए गए गाय को 11 साल तक नहीं लौटाने की वजह से श्रापगत पुत्र वियोग झेलना पड़ा।

आचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं को बताया कि भगवान श्री कृष्ण की रानियों को पूर्व जन्म देव अप्सरा के दौरान जल में तपस्या में लीन ऋषि अष्टवक्र का उपहास उड़ाने की श्राप द्वापरयुग में भुगतना पड़ा। जब भगवान श्री कृष्ण की लीला समाप्त होने के उपरांत गांडीवधारी अर्जुन भी लुटेरों से उनका हरण नहीं रोक सके। आचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं को कलयुग के लक्षणों को भी श्रोताओं से साझा करते हुए बताया कि भगवान शुकदेव ने राजा परीक्षित को कलयुग के लक्षण बताए थे। जिसमें उन्होंने बताया था कि कलयुग में लोग अधर्म को बोलबाला होगा। पतियों की हालत मरकट की भांति हो जाएगी। ब्रम्ह विवाह नष्ट हो जाएगा। गुणों की कद्र नहीं होगी। पंडितों के बच्चों को लोगों के धर्म कर्म नहीं कराने की वजह से पंडिताई बंद कर रोजगार के अन्य विकल्प ढूंढने पड़ेंगे। सामाजिक व्यवस्थाएं बिगड़ेंगीं । परंपरागत राजगद्दी पर कोई आसीन नहीं होगा। जिसकी लाठी ताकि भैंस ,जिसकी वोट उसकी सत्ता जैसी कहावत चरितार्थ होगी। इसलिए अपना वोट सही जगह डालें। उसी जगह डालें जहाँ सनातन मजबूत हो ,हिंदुत्व मजबूत हो ,भजन संगीत शोभायात्रा चलती रहे ,गलती से कभी किसी टोपी वाले को बिठा दिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इसलिए वोट को सही जगह इस्तेमाल कर सनातन को मजबूत करें। कलयुग में जो प्रभु के नाम का आश्रय लेगा उसी का कल्याण होगा।

आचार्य ने पुनीत आयोजन के लिए कथा आयोजनकर्ता रविशंकर शुक्लनगर वासियों ,कपिलेश्वरनाथ महिला मंडल का आभार जताते हुए आशीष दिया कि सबका साथ ,सबका विश्वास ,सबका विकास भागवत कथा के माध्यम से होता रहे। सभी का जीवन पीड़ारहित हो ,सबके यहाँ खूब धन हो धन से धर्म कार्य हों। आरती पूर्व बरसाना की तरह भव्य फूलों की होली खेली गई। जिसमें राधा -कृष्ण के साथ सभी श्रोता झूमे। आठवें दिवस सोमवार 24 मार्च को प्रातः 10 बजे हवन ,पूर्णाहुति व प्रसाद वितरण के साथ पावन धार्मिक आयोजन का समापन होगा।