मुंबई,31 मार्च 2025: आज के समय में घर, कार या फिर अपनी दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेना काफी आम बात हो गई है. बैंक जब भी किसी को लोन देता है तो क्रेडिट हिस्ट्री, आय सोर्स और रीपेमेंट कैपेसिटी को ध्यान में रखता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लोन लेने वाले की मौत हो गई तो उसका भरपाई कौन करेगा. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
क्या है नियम?
अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो बैंक सबसे पहले एप्लिकेंट से संपर्क करता है. को -एप्लिकेंट का नाम होम लोन, एजुकेशन लोन या जॉइंट लोन में आमतौर पर यह नाम दर्ज होता है. अगर को-एप्लिकेंट लोन चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक गारंटी से संपर्क करता है.
अगर इस केस में गारंटर भी लोन चुकाने से मना कर देता है या फिर उसके पास पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं तो बैंक मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी से भी संपर्क करता है. इसमें मृतक के परिवार के सदस्य, जैसे पत्नी, बच्चे या फिर माता-पिता भी शामिल हो सकते हैं. बैंक उनको लोन चुकाने के लिए कहता है.
बैंक कब संपत्ति सीज कर सकता है?
अगर को -एप्लिकेंट, गारंटर और कानूनी उत्तराधिकारी में से कोई भी लोन चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक के पास मृतक की संपत्ति को जब्त करने और उसको बेचने का भी अधिकार होता है. होम लोन के मामले में बैंक सीधे मृतक के मकान को सीज कर सकता है और नीलामी के जरिए उसे बेचकर कर्ज की वसूली करता है.
लोन इंश्योरेंस है तो क्या होगा?
अगर मृत व्यक्ति ने लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस लिया है, तो उसकी मृत्यु के बाद पूरा कर्ज बीमा कंपनी चुकाती है और परिजनों पर कोई बोझ नहीं पड़ता. अगर कानूनी उत्तराधिकारी ने मृतक की संपत्ति को उत्तराधिकार में स्वीकार नहीं किया है, तो वह लोन चुकाने के लिए बाध्य नहीं है.