सिगरेट का धुआं हो या गुटखे की लत, तंबाकू का हर रूप शरीर के लिए जहर से कम नहीं, लेकिन अधिकांश लोगों के मन में यह बात जरूर आती है कि स्मोकिंग (धूम्रपान) ज्यादा खतरनाक है या स्मोकलेस (चबाने वाला) तंबाकू? विशेषज्ञों की मानें तो दोनों ही जानलेवा हैं, पर इनके खतरे अलग-अलग तरीकों से शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. तंबाकू अलग- अलग रूपों में आता है और ये किस तरह शरीर को बीमार करता है इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं.
सिगरेट, बीड़ी, हुक्का जैसे धूम्रपान वाले तंबाकू उत्पादों में मौजूद धुआं फेफड़ों को सीधा नुकसान पहुंचाता है। इसमें मौजूद टार, निकोटिन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे जहरीले तत्व ना सिर्फ फेफड़ों के कैंसर, बल्कि दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं। तंबाकू के धुएं में 7,000 से ज्यादा रसायन होते हैं, जिनमें कई जहरीले होते हैं और कम से कम 70 रसायन कैंसर का कारण बन सकते है.
तंबाकू का धुंआ कैसे शरीर पर करता है असर?
ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. डॉ. पुनीत गुप्ता बताते हैं कितंबाकू के धुएं में मौजूद टार फेफड़ों की झिल्ली को नुकसान पहुंचाता है, जिससे बलगम और गंदगी बाहर नहीं निकल पाती और संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है. गुटखा, पान मसाला, खैनी जैसे चबाने वाले तंबाकू उत्पाद सीधे मुंह, जीभ और गले के कैंसर का कारण बनते हैं. इनमें मौजूद नाइट्रोसामाइन्स और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स जैसे कैंसरकारी तत्व डीएनए को नुकसान पहुंचाकर सेल्स में म्यूटेशन करते हैं.
भारत में लगभग 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर के मामले स्मोकलेस तंबाकू के कारण होते हैं. इसके अलावा यह अन्ननली, गला और अग्न्याशय के कैंसर का भी बड़ा कारण है.
सेकंड हैंड स्मोक और घरवालों का खतरा
धूम्रपान सिर्फ पीने वाले को नहीं, बल्कि उसके आसपास रहने वालों को भी खतरे में डालता है. सेकंड हैंड स्मोक से घर के बुज़ुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कैंसर, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.
स्मोकिंग तंबाकू (जैसे: बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, सिगार) से क्या खतरे हैं
-फेफड़ों का कैंसर (90% मामलों में)
-क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, एम्फायसेमा, COPD
-दिल की बीमारियाँ (हार्ट अटैक, स्ट्रोक)
-सेकंडहैंड स्मोक से दूसरों को भी नुकसान
-धुआं शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है
स्मोकलेस तंबाकू (जैसे: गुटखा, पान मसाला, ज़र्दा, खैनी, सूँघने वाला तंबाकू) से क्या खतरे हैं
–मुंह, गला, जीभ और अन्ननली का कैंसर
मसूड़ों की बीमारी, दांतों का नुकसान
प्रीकैंसरस घाव (सफेद चक्कते) जो कैंसर में बदल सकते हैं
निकोटिन की लत और उच्च रक्तचाप
कौन ज़्यादा खतरनाक?
विशेषज्ञों की राय में दोनों ही रूप समान रूप से जानलेवा हैं। फर्क बस यह है कि स्मोकिंग का असर पूरे शरीर पर जल्दी दिखता है, जबकि स्मोकलेस तंबाकू मुंह और गले से शुरू होकर धीरे-धीरे शरीर को खत्म करता है.तंबाकू चाहे किसी भी रूप में हो, यह दिल, फेफड़े और शरीर की हर कोशिका पर असर डालता है. इसे छोड़ना ही सबसे सही उपाय है.