पंडित यशवर्धन पुरोहित
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास में पूर्णिमा तिथि (प्रदोषकाल व्यापिनी) को होलिका दहन किया जाता है। इसके अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंग दुल्हैंडी का पर्व मनाया जाता है। इस बार 13 मार्च गुरुवार को होलिका-दहन किया जाएगा और 14 मार्च को रंग का त्योहार मनाया जाएगा। 13 मार्च को पूर्णिमा प्रातः 10:38 बजे धृति योग, भूल योग, वणिज करण, विष्टि करण, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रारंभ होकर 14 मार्च, शुक्रवार दोपहर 12:27 बजे तक रहेगी। भद्रा 13 मार्च को प्रातः 10:38 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि 11:30 बजे पर समाप्त हो जाएगी। 13 मार्च को उदय तिथि तो चतुर्दशी है लेकिन 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे पूर्णिमा लग जाएगी। 13 मार्च की सुबह 10:35 से 14 मार्च दोपहर 12:24 तक पूर्णिमा व्याप्त रहेगी और शास्त्रीय नियमानुसार संध्याकाल के समय पूर्णिमा 13 मार्च को उपस्थित रहेगी। इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा। 13 मार्च होलिका दहन वाले दिन सुबह 10:35 से रात 11:29 तक भद्रा भी रहेगी।
होलिका दहन पर विशेष मुहूर्त 11.29 बजे रात्रि के बाद
संध्याकाल में सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोषकाल आरंभ होता है, जिसमें होली दहन की परंपरा है। 13 मार्च को होलिका दहन वाले दिन सुबह 10:35 बजे से रात 11:29 बजे तक भद्रा उपस्थित रहेगी। शास्त्र नियमानुसार भद्रा काल में होली दहन नहीं किया जाता। 13 मार्च की रात 11:29 बजे भद्रा समाप्त होने के तुरंत बाद होलिका दहन किया जाएगा।
13 मार्च को पूर्णिमा तिथि 10.35 बजे शुरू हो रही है, जो 14 मार्च को दोपहर 12.25 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा तिथि के आरंभ के साथ भद्रा लग जाएगी, जो रात्रि 11.30 बजे समाप्त हो रही है। इस समय काल के समाप्त होने के बाद 11.30 बजे के बाद ही होलिका दहन होगा। होलिका पूजन 13 मार्च को 10.35 बजे के बाद करना श्रेष्ठ है। उन्होंने बताया कि होलिका पूजन के लिए कच्चे सूत को बांधते हुए तीन बार परिक्रमा करें और गुलाल, अक्षत, फल, पुष्प आदि से पूजन कर होलिका की भस्म अपने घर लेकर जाने का विधान है। होली की यह भस्म घर में छिड़क सकते हैं। होली की भस्म का तिलक भी लगाना चाहिए।
विक्रमीय संवत 2081 को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 13 मार्च 2025 को सूर्योदय से लेकर सुबह 10:35 तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी। भद्रा करण, सुबह 10:35 से आरंभ होकर रात्रि 11:26 तक रहेगा। होलिका दहन 13 मार्च रात 11:26 के बाद ही होगा। व्रत की पूर्णिमा भी 13 मार्च को होगी। दहन का मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 26 मिनट से रात्रि 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
14 मार्च को स्नान दान की पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रयुता परम पुण्यदायिनी फाल्गुनी पूर्णिमा दोपहर 12:23 तक रहेगी। इसके पश्चात चैत्र कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ होगी। इसलिए 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग वाली होली रहेगी। 15 मार्च को प्रतिपदा सूर्योदय के समय व्याप्त रहेगी, इसलिए 14 शुक्रवार को अंझा रहेगा। उन्होंने बताया कि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि, 15 मार्च शनिवार को सूर्योदय से दोपहर 02 बजकर 33 मिनट तक रहेगी।
धुरड्डी (छारेन्डी) जिसे शुद्ध रूप से होलिका विभूति धारण कहा जाता है वह शनिवार को मनाना ही धर्मसम्मत है। 16 मार्च को द्वितीया तिथि सूर्योदय से सायंकाल पांच बजे तक रहेगी इसलिए भाई दूज का पर्व 16 मार्च रविवार को मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होने की वजह से यहां पर ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए यहां ग्रहण को लेकर नियम नहीं मान्य होगा।