रायपुर,27 अप्रैल (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि बैसाख माह में कैसे अपना ख्याल रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस माह में वनस्पति तेल का सेवन नहीं करना चाहिये और बेल का सेवन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर है।
बैसाख माह में ऋतु परिवर्तन का समय होता है, जिससे संक्रामक रोगों की संभावना बढ़ जाती है। इसलिये विशेष रूप से तैलीय, मसालेदार भारी भोजन, होटल के भोजन से परहेज करना चाहिये। गर्मी बढ़ने के कारण डिहाइड्रेशन की संभावना बढ़ जाती है, इसलिये पानी का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिये।
डॉ. शर्मा ने बताया कि बैसाख माह में हल्का, ताजा और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिये साथ ही बासी भोजन से परहेज करना चाहिये। उन्होंने आहार और जीवनशैली के बारे में विस्तार से बताया और बताया कि क्या खाना चाहिये और क्या नहीं खाना चाहिये।
आहार
क्या खाना चाहिये:
- बेल, अनाजों में जौ, सत्तू, दलिया, आटा, चांवल, मक्के की खीर
- मोंठ, मूंग, चना, तुअर दाल, मौसमी फल जैसे- बेल, संतरा, रसीले फल तरबूज, खरबुज, आम, मौसंबी, सेव, नारियल आदि
- सब्जियों में- लौकी, ककड़ी, कद्दू, हरा धनिया, तरोइ, करेला, जिमीकन्द, सहजन की फली, पुदीना, चौलाई आदि
क्या नहीं खाना चाहिये:
- वनस्पति तेल, अनाज में बाजरा, पुराना गेंहू, उड़द दाल, मसूर
- सब्जियों में मेथी, बैगन, मूली, फूल गोभी, पत्ता गोभी, बैंगन, अरबी, टमाटर
- फलों में पपीता तथा ज्यादा तेल मिर्च मसाले वाले, देर से पचने वाले भारी भोजन एवं बासी भोजन
जीवनशैली
क्या करें:
- प्रात: जल्दी उठना चाहिये
- सुपाच्य ताजा भोजन करें
- पानी ज्यादा पियें
- सत्तू एवं रसदार फलों का सेवन करें
- योग-प्राणायाम, ध्यान एवं यथाशक्ति शारीरिक व्यायाम करना चाहिये
क्या न करें:
- प्रात:देर तक शयन करने से
- मसालेदार, तैलीय,भारी भोजन करने से
- यथाशक्ति श्रम और व्यायाम न करने से
- तामसिक आहार के सेवन से
- दिन मे शयन करने से
- रात्रि जागरण करने से बचाव करना चाहिये