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Hariyali teej 2025: जानें क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज… कब है व्रत, क्या है पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

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Hariyali teej tithi 2025 : सावन का महीना आते ही हरियाली तीज की तैयारी भी शुरू हो जाती है। हरियाली तीज हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। हरियाली तीज न केवल आस्था और भक्ति का पर्व है, बल्कि यह महिलाओं के सौंदर्य, उत्साह और परंपराओं का भी प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति से जुड़े होने के कारण हरियाली और आनंद का संदेश भी देता है।पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसी उपलक्ष्य में हर साल इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कुंआरी कन्याएं मनचाहे वर के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करती हैं, यानी जल तक ग्रहण नहीं करतीं और माता पार्वती तथा भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करती हैं।

हरियाली तीज 2025 कब है?

हरियाली तीज हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष:
तृतीया तिथि प्रारंभ: 26 जुलाई 2025, शनिवार, शाम 07:11 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 27 जुलाई 2025, रविवार, शाम 07:11 बजे
उदयातिथि के अनुसार, यह पर्व 27 जुलाई 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा।

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पूजा विधि और परंपराएं:

 महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं, जो ससुराल पक्ष द्वारा दिया जाता है।
 दिनभर निर्जला व्रत करती हैं और शाम को पूजा कर व्रत खोलती हैं।
 महिलाएं इस दिन हरे रंग के वस्त्र, चूड़ियां, मेहंदी और सोलह श्रृंगार करती हैं।
 भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति अथवा चित्र पर जल, पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित कर व्रत कथा सुनी जाती है।
 कई स्थानों पर महिलाएं झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं, जिससे इस पर्व का उत्सव रूप और भी सुंदर बनता है।

तीज के अन्य रूप:

हरियाली तीज के अतिरिक्त दो अन्य प्रमुख तीजें भी होती हैं:

– कजरी तीज: 12 अगस्त 2025 (मंगलवार)
– हरतालिका तीज: 26 सितंबर 2025 (मंगलवार)

तीनों तीज पर्वों का विशेष महत्व होता है और विशेष रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड में बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

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