मुंबई। अगर किसी एक नाम ने इंडियन एंटरटेनमेंट की परिभाषा ही बदल दी है, तो वो हैं विपुल अमृतलाल शाह। गुजराती थिएटर से अपनी शुरुआत करने वाले विपुल आज इंडस्ट्री के बड़े नामों में गिने जाते हैं। उनकी कहानियों में एक खास बात होती है, दरअसल वो दिल को छूती हैं और बड़े पैमाने पर लोगों को जोड़ती भी हैं। बतौर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर, उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट्स दी हैं, जो एंटरटेनमेंट के साथ-साथ कुछ कह भी जाती हैं। अपना जन्मदिन मना रहे विपुल अमृतलाल शाह आज भी उतनी ही रफ्तार और जोश के साथ काम कर रहे हैं। वो लगातार नई कहानियों के जरिए कुछ अलग और दमदार पेश करने की कोशिश में लगे रहते हैं। पीढ़ियों और अलग-अलग जॉनर के बीच उन्होंने जो यादगार फिल्में दी हैं, वो आज भी दर्शकों के दिल में बसी हुई हैं।
विपुल की कहानी सुनाने की बुनियाद 1983 में रखी गई थी, जब उन्होंने गुजराती नाटकों में अभिनय करना शुरू किया। सिर्फ चार सालों में उन्होंने गुजरात, मुंबई और कोलकाता में 600 से ज़्यादा शोज़ किए। इंसानी जज़्बातों और मंच पर प्रस्तुति की उनकी गहरी समझ टीवी की दुनिया में भी बखूबी नज़र आई। उन्होंने ‘एक महल हो सपनों का’ जैसे हिट सीरियल से अपनी अलग पहचान बनाई। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर आने वाला ये शो भारत का सबसे लंबा चलने वाला पारिवारिक ड्रामा बना, जिसने 1000 से भी ज़्यादा एपिसोड पूरे किए।
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विपुल ने बड़े पर्दे पर अपने निर्देशन की शुरुआत 2002 में फिल्म आंखें से की, जो एक दमदार थ्रिलर थी। इस फिल्म ने 5 फिल्म अवॉर्ड्स जीते और भारत में समझदारी से बनी थ्रिलर फिल्मों का नया स्तर तय किया। इसके बाद उन्होंने 2005 में वक़्त: द रेस अगेंस्ट टाइम बनाई, जो एक इमोशनल फादर-सन ड्रामा था। 2007 में आई नमस्ते लंदन तो एक तरह से कल्ट क्लासिक बन गई, इसमें रोमांस, देशभक्ति और पहचान का ऐसा मेल था कि दुनिया भर के भारतीय दर्शकों से ये फिल्म सीधे दिल से जुड़ गई।
2010 में विपुल ने ऐक्शन रिप्ले डायरेक्ट और प्रोड्यूस की, जिसमें उन्होंने साइ-फाई और रेट्रो स्टाइल स्टोरीटेलिंग का दिलचस्प एक्सपेरिमेंट किया। उनकी फिल्मों में इमोशनल गहराई के साथ साथ पॉपुलर अपील भी होती है, जो कि कमर्शियल सिनेमा में बहुत कम देखने को मिलता है। 2008 में उन्होंने सिंह इज़ किंग से बतौर प्रोड्यूसर धमाकेदार शुरुआत की, जो न सिर्फ ब्लॉकबस्टर रही, बल्कि अपने वक्त की सबसे बड़ी ओपनिंग देने वाली फिल्म बनी और एक कल्चरल फेनॉमेनन बन गई। उनके प्रोडक्शन हाउस सनशाइन पिक्चर्स के बैनर तले वो लगातार दमदार और यादगार फिल्में दे रहे हैं।
2013 में विपुल ने कमांडो प्रोड्यूस की, जिसने बॉलीवुड एक्शन को रॉ और रियलिस्टिक स्टाइल में नया मोड़ दिया। इसके बाद 2014 में आई हॉलिडे: अ सोल्जर इज़ नेवर ऑफ ड्यूटी, जिसमें जबरदस्त एक्शन के साथ एक मज़बूत एंटी-टेररिज्म मैसेज भी था। विपुल ने अपनी बोल्ड सोच दिखाते हुए द केरल स्टोरी जैसी चर्चित फिल्म को भी सपोर्ट किया, जिसने पूरे देश में बहस छेड़ दी। उनकी फिल्मों में सिर्फ एंटरटेनमेंट ही नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी गहरी बातें भी होती हैं। वो लगातार ऐसे प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट कर रहे हैं जो जॉनर की सीमाएं तोड़ते हैं और समाज से जुड़ी बातें बेबाकी से कहते हैं।
विपुल अमृतलाल शाह के बैनर सनशाइन पिक्चर्स ने आज इंडस्ट्री में एक सम्मानित जगह बना ली है। ये प्रोडक्शन हाउस अब सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल कंटेंट और टीवी की दुनिया में भी अपना दम दिखा रहा है। चाहे देसी जड़ों से जुड़ी कहानियां हों, एक्शन या थ्रिलर, सनशाइन पिक्चर्स का हर प्रोजेक्ट न सिर्फ नया होता है, बल्कि दिल से जुड़ा भी होता है। विपुल की सोच और नज़र हमेशा ऐसी कहानियों पर होती है जो लोगों से सीधा जुड़ सकें।
अब विपुल अमृतलाल शाह एक बार फिर डायरेक्टर की कुर्सी संभालने के लिए तैयार हैं अपने अगले प्रोजेक्ट हिसाब के साथ, जो एक हाई स्टेक्स हाइस्ट थ्रिलर होगी। सनशाइन पिक्चर्स के बैनर तले बन रही ये फिल्म 2025 के अंत में रिलीज़ होने वाली है। उनके जन्मदिन के मौके पर बता दें कि विपुल अमृतलाल शाह एक ऐसे फिल्ममेकर, प्रोड्यूसर, मेंटॉर और विज़नरी के रूप में सामने आते हैं, जिनका भारतीय सिनेमा में योगदान आज भी प्रेरणा देता है। उन्होंने न सिर्फ दिल को छू लेने वाली कहानियां दीं हैं, बल्कि ऐसा सिनेमा रचा जिसकी गूंज आने वाले वक्त में और गहराई से महसूस की जाएगी।