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अच्छी पहल : पेड़ों की जिंदगी बचाने युवाओं ने छेड़ी मुहिम, पेड़ो की के रहे मरहम पट्टी और चढ़ा रहे ग्लूकोज जैसे दवा पानी में मिला

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0 इंसानों के समान पेड़ो का जीवन बचाने ड्रीप सिस्टम से दे रहे पानी और कर रहे ट्रीटमेंट

कोंडागांव,28अप्रैल 2025(वेदांत समाचार)। अब तक आपने जंगलों में पेड़ काटने और लकड़ी तस्करी की खबरें ही सुनी होंगी, लेकिन कोंडागांव के बड़ेकनेरा पंचायत में एक ऐसी मिसाल पेश की जा रही है जो दिल को छू लेती है। यहां सरपंच प्रकाश चूरगिया और पंचायत के युवाओं ने हरे-भरे साल के पेड़ों को बचाने की अनूठी पहल शुरू की है।

दरअसल, पट्टे के चक्कर में कई जगह हरे पेड़ों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। लकड़ी तस्करों ने पेड़ों के तनों को गर्डिंग कर दिया, जिससे पेड़ों का पानी और पोषण का रास्ता कट गया और वे धीरे-धीरे सूखने लगे। अब इन्हीं पेड़ों को नई जिंदगी देने के लिए युवाओं ने जिम्मा उठाया है।

पेड़ों को किया जा रहा मरहम-पट्टी, लगा रहे ड्रीप से पानी

युवाओं ने गर्डिंग की गई जगहों पर गोबर और मिट्टी का लेप कर बोरों से बांध दिया है, ठीक वैसे जैसे डॉक्टर घाव पर मरहम लगाकर उसे भरने का प्रयास करते हैं। साथ ही गर्मी में पेड़ों को लगातार नमी मिलती रहे इसके लिए पानी की बोतलों से ड्रीप सिस्टम लगाकर बूंद-बूंद पानी दिया जा रहा है। पानी के साथ दवाइयां भी दी जा रही हैं ताकि पेड़ जल्दी रिकवर कर सकें।

इस अनूठी पहल में सरपंच प्रकाश चूरगिया के साथ पंच गणेश मानिकपुरी, सोहन कश्यप, गौतम यादव, मंगेश्वर और निलधर सहित कई अन्य युवा शामिल हैं। उनकी मेहनत अब रंग ला रही है — सूखने की कगार पर पहुंचे कई पेड़ अब फिर से हरे होने लगे हैं।

वन विभाग से पहले युवाओं ने दिखाई जागरूकता

जहां वन विभाग की टीमें अब तक केवल निगरानी तक सीमित रही हैं, वहीं इन युवाओं ने बिना किसी सरकारी मदद के जंगलों की जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी उठा ली है। जंगल के अस्तित्व के लिए चल रही इस लड़ाई में अब गांव के और लोग भी जुड़ने लगे हैं।

जंगल बचेंगे, तभी जीवन बचेगा

जिले में अब तक 70 हजार पट्टे बांटे जा चुके हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े स्तर पर जंगलों का नुकसान हुआ है। लेकिन अब युवा पीढ़ी को भी समझ आने लगा है कि पेड़ ही जीवन हैं। इसलिए एक-एक पेड़ को बचाने के लिए पूरी शिद्दत से जुटे हैं। उनकी इस सोच और मेहनत की हर तरफ सराहना हो रही है।

प्रतीक वर्मा रेंजर निश्चित ही इन युवाओं का प्रयास बेहद सराहनीय है जिन्होंने इंसान के दर्द के समान पेड़ के भी छाल कटने का दर्द को महसूस किया है वृक्षों को बचाने की युवाओं की इस मुहिम से लोग प्रेरणा ले और अब कटाई रोकने सामूहिक रूप से सब सामने आएं।

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