गोंद कतीरा, जिसे “Tragacanth Gum” भी कहते हैं, एक प्राकृतिक राल होती है जो खास पेड़ों के तनों से निकलती है। ये सफेद या पीले झिल्लीदार टुकड़ों में आता है और पानी में भिगोने पर एक नरम, ठंडी जेली जैसा पदार्थ बन जाता है।
कैसे लें?
रात को 1 चम्मच गोंद कतीरा पानी में भिगो दें। सुबह ये फूल जाएगा —
इसे आप शरबत, दूध, शिकंजी, नींबू पानी, फालसे या गुलकंद के साथ मिलाकर पी सकते हैं।
गोंद कतीरा के जबरदस्त लाभ
- शरीर को ठंडक और लू से सुरक्षा:
गोंद कतीरा हीट स्ट्रोक, नकसीर, पेशाब में जलन और शरीर की जलन को दूर करता है।
गर्मियों में यह शरीर को ठंडा और संतुलित रखता है।
- डिहाइड्रेशन का दुश्मन, हाइड्रेशन का हीरो:
इसमें पानी को रोककर रखने की गजब की क्षमता होती है।
आंतों की झिल्ली को हाइड्रेट और एल्कलाइन बनाता है।
- पाचन तंत्र का सुधारक:
कब्ज़, पेट की सूजन, जलन और Irritable Bowel Syndrome (IBS) में गोंद कतीरा बेहद लाभकारी है।
आंतों के चिड़चिड़ेपन को शांत करता है।
- वीर्यवर्धक और यौन शक्ति में सहायक:
यह शीतल और शुक्रवर्धक होता है, जिससे वीर्य गाढ़ा व पोषक बनता है।
शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन में लाभदायक है।
पुरुषों में कामेच्छा को बढ़ाता है।
- स्किन और जॉइंट्स के लिए अमृत:
इसमें मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं — स्किन को हाइड्रेट, लचीला और जवान बनाता है।
विटामिन C के साथ लेने पर कोलेजन का निर्माण करता है — झुर्रियां, दाग, फाइन लाइन्स को दूर करता है।
- जोड़ों और हड्डियों को मजबूती:
इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
गठिया, सूजन और जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
- मेटाबॉलिज्म बूस्टर और वज़न नियंत्रक:
इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है — भूख कम लगती है, जिससे वज़न कंट्रोल होता है।
पाचन और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।
आयुर्वेदिक रहस्य (जो आम लोग नहीं जानते):
- गोंद कतीरा “शीतवीर्य और बल्य” है:
यानी यह शरीर में ठंडक लाकर शक्तिवर्धन करता है। विशेषकर पित्त दोष वालों के लिए यह अमृत है।
- “स्त्री-पुरुष दोनों के लिए रिप्रोडक्टिव टॉनिक”:
महिलाओं में यह गर्भाशय की सूजन, सफेद पानी और कमजोरी में लाभदायक है।
पुरुषों में शुक्र धातु को गाढ़ा और सशक्त बनाता है।
- बच्चों के मानसिक विकास में सहायक:
ठंडे दूध में गोंद कतीरा और शहद मिलाकर देने से ध्यान, स्मरण शक्ति और शरीर का विकास होता है।
संभावित हानियाँ और सावधानियाँ:
अधिक मात्रा में सेवन करने पर भारीपन या सुस्ती हो सकती है।
सर्दी या जुकाम में लेने से बचें, क्योंकि यह बहुत ठंडा होता है।
डायजेशन कमजोर हो तो गुलकंद या मिश्री के साथ लें।
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