डायबिटीज यानी मधुमेह को अक्सर सिर्फ एक ब्लड शुगर की बीमारी समझा जाता है, लेकिन यह शरीर के कई अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकती है. यह सिर्फ आंखों, किडनी या हार्ट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हड्डियों पर भी इसका गहरा असर होता है. हाल ही में हुए कुछ अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि डायबिटीज से ग्रसित लोगों को हड्डी टूटने यानी फ्रैक्चर होने का खतरा सामान्य लोगों से कहीं अधिक होता है.
डायबिटीज और हड्डियों का रिश्ता
डायबिटीज के मरीजों की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे उनमें लचीलापन और मजबूती कम हो जाती है. हड्डियों की यह कमजोरी बाहर से नहीं दिखती, लेकिन अंदर ही अंदर उनकी संरचना बदलने लगती है. इससे थोड़ी-सी चोट भी गंभीर फ्रैक्चर का कारण बन सकती है.
टाइप-1 और टाइप-2 दोनों तरह की डायबिटीज हड्डियों को प्रभावित करती है, लेकिन टाइप-1 डायबिटीज में यह खतरा ज्यादा होता है क्योंकि यह अक्सर कम उम्र में शुरू होती है और लंबे समय तक बनी रहती है.
क्यों होती हैं हड्डियां कमजोर?
ब्लड शुगर का असंतुलन- जब शरीर में शुगर का स्तर लंबे समय तक ज्यादा बना रहता है, तो यह हड्डियों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है.
इंसुलिन की भूमिका- इंसुलिन न सिर्फ शुगर कंट्रोल करता है, बल्कि हड्डियों के निर्माण में भी मदद करता है. डायबिटीज में इंसुलिन की कमी या असर न होना हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है.
नसों और आंखों पर असर– डायबिटीज से शरीर की नसें कमजोर हो जाती हैं, जिससे संतुलन बिगड़ सकता है और गिरने का खतरा बढ़ जाता है. यही गिरना फ्रैक्चर की वजह बन सकता है.
कौन-से हिस्से होते हैं ज्यादा प्रभावित?
डायबिटीज के मरीजों में कूल्हे, रीढ़ (स्पाइन), और हाथ-पैर की हड्डियों में फ्रैक्चर होने की संभावना अधिक होती है. कई बार बिना किसी गंभीर चोट के भी हड्डी टूट सकती है.
बचाव के उपाय
ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें- रोजाना शुगर लेवल की जांच करें और डॉक्टर की सलाह मानें.
कैल्शियम और विटामिन D लें- हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए डाइट में कैल्शियम और विटामिन D शामिल करें.
एक्सरसाइज करें- रोजाना हल्की-फुल्की कसरत करें ताकि हड्डियां सक्रिय रहें.
गिरने से बचाव करें- घर में फर्श पर फिसलन न हो, रात में रास्ता रोशन हो, ऐसे छोटे कदम भी बड़े काम आते हैं.