कोरबा समेत 6 जिलों के सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को रेडी टू ईट फूड निर्माण के लिए करना होगा इंतजार, मंत्री की घोषणा

0 सचिव के आदेश के बाद भी नए वित्तीय वर्ष से समूहों को संचालन का दायित्व सौंपने शुरू नहीं हो सकी समूह चयन की कवायद

रायपुर -कोरबा, 21 मार्च। छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के सवा साल बाद कोरबा समेत 6 जिलों में रेडी टू ईट फूड निर्माण का संचालन बीज निगम की उत्पादनकर्ता फर्मों की जगह परियोजना स्तर पर सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को देने की साय सरकार की घोषणा ,विभागीय आदेश के बाद भी सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को संचालन के लिए इंतजार करना पड़ता है।तय मियाद 1 अप्रैल 2025 से समूह का संचालन का दायित्व देने की घोषणा पर अमलीजामा पहनाने आज पर्यंत समूह चयन की कवायद (प्रक्रिया)शुरू नहीं की जा सकी।

यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के नोनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। 1 फरवरी 2022 के पूर्व स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था। गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें।


24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन ने द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार 1 फरवरी 2022 फरवरी से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का हवाला दिया है जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया था। हालांकि सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन गया था । 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित हुईं थी ।लाखों रुपए कर्ज लेकर विषम परिस्थितियों में भी स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने योजना का सुचारू संचालन किया। शासन के फैसले के खिलाफ कवर्धा ,कोरबा ,सूरजपुर सहित कई जिलों में रैली निकाल कलेक्ट्रेट का घेराव कर विरोध जताया गया था ।

राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम आदेश को वापस लेने ज्ञापन सौंपा गया। विपक्षी दल भाजपा भी सत्ता पक्ष के इस निर्णय को लेकर हमलावर रही। सदन में हंगामा व बहिर्गमन तक किया गया। वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च तक रेडी टू ईट के लिए वर्तमान प्रचलित व्यवस्था का विस्तार कर दिया था। 1 अप्रैल 2022 से पूर्ण से छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम रायपुर की स्थापित यूनिट को कार्य सौंप दिया गया था। विधानसभा चुनाव में भी रेडी टू ईट का दायित्व चरणबद्ध रूप से स्थानीय महिला स्व सहायता के सुपुर्द करने की बात कही गई थी। लिहाजा बजट सत्र में मुख्यमंत्री ने पहले चरण में 5 जिलों में रेडी टू ईट फ़ूड का दायित्व स्थानीय पंजीकृत सक्षम महिला स्व सहायता समूहों के हवाले करने का ऐलान किया था।

मुख्यमंत्री की घोषणानुरूप आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले 20 जनवरी 2025 को सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन शम्मी आबिदी ने पूरक पोषण आहार योजनांतर्गत रेडी टू ईट निर्माण व वितरण का कार्य छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम रायपुर की स्थापित यूनिट की जगह 5 जिलों में रेडी टू ईट के निर्माण हेतु फर्म एंड सोसायटी के तहत पंजीकृत सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को सौंपने आदेश जारी किया था। लेकिन आचार संहिता हटने के 23 दिन बाद भी समूह चयन की कवायद ही शुरू नहीं की जा सकी। समूह चयन को लेकर कोई सर्कुलर जारी नहीं हुए। जिससे नए वित्तीय वर्ष से इन 6 जिलों में सक्षम स्व सहायता समूहों की जगह फिलहाल राज्य बीज निगम की उत्पादनकर्ता फर्म ही अप्रैल माह में रेडी टू ईट वितरण करती नजर आएगी।

समूहों में निराशा, कहीं खेला तो नहीं हो गया ?👇

गौरतलब हो कि भाजपा शासनकाल में ही करीब दो दशक पूर्व शुरू की गई पूरक पोषण आहार योजनांतर्गत रेडी टू ईट निर्माण व वितरण का कार्य सेक्टरवार पंजीकृत स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों को सौंपा गया था। जिसमें सेक्टवार स्थापित यूनिट के सतत रूप से निरीक्षण ,मॉनिटरिंग सुनिश्चित नहीं हो पा रही थी। जिसे देखते हुए इस बार साय सरकार परियोजना स्तर पर रेडी टू ईट फूड निर्माण इकाई का दायित्व देने जा रही है। स्पष्ट है कि मानव स्पर्श रहित स्व चलित मशीनों से ही रेडी टू ईट तैयार होगी ,ऐसे यूनिट प्रत्येक परियोजना में एक -एक यूनिट स्थापित की जाएगी। लेकिन समूह चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से महिला स्व सहायता समूहों में निराशा व्याप्त है।6 जिलों में 3 आकांक्षी जिले शामिल हैं। इनमें बस्तर संभाग के दो एवं बिलासपुर संभाग के एक जिले शामिल हैं। विश्वनीय सूत्रों की मानें तो कृषि राज्य बीज निगम की उत्पादन फर्म भी आसानी से संचालन के दायित्व से पीछे हटने तैयार नहीं हो रही।

यह होगा लाभ 👇

सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत रेडी टू ईट के संचालन दायित्व देने से कई तरह के लाभ होंगे। बीज निगम की उत्पादनकर्ता फर्म के रेडी टू ईट फूड संचालन से गुणवत्ता एवं स्वच्छता जरूर बेहतर हुई है लेकिन रेडी टू ईट का अनियमित वितरण की शिकायतें बनी हुई है। वो अलग बात है कि तमाम शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। सक्षम महिला स्व सहायता समूहों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत रेडी टू ईट का संचालन दायित्व देने से इस तरह की शिकायतों की गुंजाइश नहीं के बराबर रह जाएगी। इसके साथ ही इस बार समूह भी बेहतर यूनिट से रेडी टू इट तैयार कर गुणवत्ता और स्वच्छता से कोई समझौता नहीं करना चाहेंगे। परियोजना स्तर पर यूनिट होने से निरीक्षण में भी कसावट आएगी। समय पर प्रतिवेदन तैयार की जा सकेगी।

इन जिलों में परियोजना स्तर पर रेडी टू ईट निर्माण का काम पंजीकृत सक्षम महिला स्व सहायता समूहों के हवाले 👇

1 .बस्तर

2 .दंतेवाड़ा

3 .कोरबा

4.रायगढ़

5 .बलौदाबाजार

6.सूरजपुर