CM डॉ. मोहन को मिली डी-लिट की उपाधि, मुख्यमंत्री ने बदला विक्रम विश्वविद्यालय का नाम

भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में आज रविवार को विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का 29वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. यादव और हार्टफुलनेस संस्था के संस्थापक कमलेश पटेल को विश्वविद्यालय की ओर से डी-लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। साथ ही 70 विद्यार्थियों को उपाधि, 99 को मेडल और 2 शोधार्थियों को डी-लिट उपाधि प्रदान की गई। इस दौरान सीएम ने विक्रम विश्वविद्यालय का नाम बदलकर ‘सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय’ करने की घोषणा की।

राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा, “विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होकर अत्यंत आनन्द का अनुभव हो रहा है। दीक्षान्त समारोह में अपनी उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को मैं आत्मीय बधाई देता हूं।” राज्यपाल ने सभी विद्यार्थियों के यशस्वी एवं मंगलमय भविष्य की कामना करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह वास्तव में सेवा के संकल्प का समारोह है। जीवन में सफलता के लिए कठोर अनुशासन की आवश्यकता होती है।

राज्यपाल ने कहा- महर्षि सान्दीपनि के गुरुकुल का पुरातन क्षेत्र आज भी आस्था का केन्द्र

राज्यपाल ने आगे कहा कि शिक्षा, धर्म, साहित्य, संस्कृति, विज्ञान और व्यापार के क्षेत्रों में भारत के मानचित्र पर उज्जैन की अपनी विशिष्ट पहचान है। क्षिप्रा के पवित्र तट पर बसे उज्जैन नगर में विद्याध्ययन की अभिलाषा से आये श्रीकृष्ण की कथा पूरे संसार में प्रसिद्ध है। महर्षि सान्दीपनि के गुरुकुल का यह पुरातन क्षेत्र आज भी जन-जन की आस्था का केन्द्र है, जहां स्वयं जगद्गुरु ने शिक्षा पायी थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ज्ञान-विज्ञान के अनेक नवीन क्षेत्र प्रकाश में आ रहे हैं। पारम्परिक विषयों के साथ अनेक नवीन विषयों में उच्च शिक्षा के नये आयाम विकसित हुए हैं। भारत के प्रतिभा सम्पन्न छात्र-छात्राओं ने विश्व फलक पर अपनी प्रतिभा और क्षमता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

दीक्षित होने वाले विद्यार्थी अपने माता-पिता और गुरुजनों का आजीवन सम्मान करें: राज्यपाल

राज्यपाल ने कहा, दीक्षित होने वाले विद्यार्थी अपने माता-पिता और गुरुजनों का आजीवन सम्मान करें। माता-पिता कई कष्टों को झेलकर अपने बच्चों का पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था करते हैं। अत: जीवन में अपने माता-पिता का सदैव सम्मान करें और उनकी सेवा करें, तभी हम अपने समाज और राष्ट्र की सेवा कर सकेगें और हमारा जीवन बेहतर होगा। एक अच्छे और जिम्मेदार नागरिक बन कर हम अपने देश की प्रगति में योगदान दे सकेंगे।