हाईकोर्ट ने 18 मई को होने वाली छत्तीसगढ़ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) 2024 परीक्षा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इस संबन्ध में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि परीक्षा के लिए बार काउंसिल में पंजीयन और प्रैक्टिस की शर्त के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लंबित है, जिसके फैसले का इंतजार किया जा रहा है।
जानें क्या है आदेश?
इसके बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है, इसलिए छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया जाता है कि वह अगले आदेश तक संबंधित परीक्षा पर आगे कार्यवाही न करें। इसके पहले 23 जनवरी को हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश दिया था कि सिविल जज की परीक्षा में वह अभ्यर्थी भी भाग ले सकते हैं, जो सरकारी कर्मचारी हैं और जिनका बार काउंसिल में नामांकन नहीं है।खंडपीठ ने दर्ज किया..
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर विचार किया, इसलिए प्रतिवादी संख्या 2/छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को अगले आदेश तक प्रश्नगत परीक्षा को आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। यह आदेश सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा 2024 में बैठने की इच्छुक लॉ ग्रेजुएट सुश्री विनीता यादव द्वारा दायर रिट याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया गया।
पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी होने के कारण उन्हें BCI नियमों (1961 के अधिनियम के तहत बनाए गए BCI नियमों के नियम 49) के तहत एक वकील के रूप में नामांकन करने से वैधानिक रूप से रोक दिया गया, जो किसी भी पूर्णकालिक व्यवसाय में लगे व्यक्तियों के नामांकन पर रोक लगाता है।