चीन ,12जून 2025: चीन की वैज्ञानिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता की रणनीति आज देश के आधुनिकीकरण के साथ-साथ विश्व की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को भी गति दे रही है। यह रणनीति केवल आत्मनिर्भरता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ‘खुले साझाकरण’ के एक महत्वपूर्ण कीवर्ड के साथ वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा दे रही है। इसका प्रमाण पेइतो उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है, जो दुनिया भर के 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों को अपनी सेवाएं प्रदान करती है। इसी तरह, फास्ट (FAST) रेडियो टेलीस्कोप अपने वार्षिक अवलोकन समय का 10% अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के उपयोग के लिए आरक्षित करता है।
इसके अतिरिक्त, डीपसीक ओपन सोर्स सहयोग के माध्यम से AI अनुसंधान और विकास की बाधाओं को कम कर रहा है, जिससे वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को लाभ मिल रहा है। प्राचीन काल से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव समाज को एक अपरिवर्तनीय और अप्रतिरोध्य शक्ति के रूप में आगे बढ़ाया है। चीन के शीर्ष नेता शी चिनफिंग ने इस बात पर जोर दिया है कि “विज्ञान और प्रौद्योगिकी देश के हथियार हैं। देश मजबूत बनने के लिए इस पर निर्भर करता है, उद्यम जीतने के लिए इस पर निर्भर करते हैं, और लोगों का जीवन बेहतर होने के लिए इस पर निर्भर करता है।” चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने समग्र राष्ट्रीय विकास के मूल में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार को रखा है
और मानती है कि चीनी शैली के आधुनिकीकरण की कुंजी वैज्ञानिक और तकनीकी आधुनिकीकरण में निहित है। हालांकि, एक आधुनिक देश बनने की प्रक्रिया में, चीन को अमेरिका और पश्चिमी देशों से “गर्दन घोंटने वाला” झटका लगा है। हुआवेई ने चिप आपूर्ति में कटौती की गंभीर दुविधा का अनुभव किया, और चीनी एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी टीम को यूरोपीय संघ द्वारा गैलीलियो नेविगेशन सिस्टम के मुख्य अनुसंधान और विकास से बाहर कर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप अरबों का वित्तीय नुकसान हुआ और अनुसंधान व विकास में महत्वपूर्ण बाधाएं आईं। इन दर्दनाक सबक ने चीन को यह एहसास दिलाया कि उच्च गुणवत्ता वाले विकास को प्राप्त करने और लोगों की बेहतर जीवन की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, उसे तकनीकी बाधाओं को तोड़ने के लिए स्वतंत्र नवाचार पर निर्भर रहना चाहिए।
इसी परिप्रेक्ष्य में, शी चिनफिंग ने राष्ट्रीय अस्तित्व के दृष्टिकोण से वैज्ञानिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता की रणनीति का प्रस्ताव रखा, और इसे “समग्र राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मौलिक समर्थन” के रूप में देखा। आज, चीन इस बात के प्रति और भी अधिक जागरूक है कि मूल और प्रमुख प्रौद्योगिकियां केवल प्रार्थना करके प्राप्त नहीं की जा सकतीं। इसके लिए आत्मनिर्भरता और निरंतर नवाचार आवश्यक है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की लहर में कठिन “पीछा” करने से लेकर आज कई क्षेत्रों में “अग्रणी” होने तक, चीन ने चीनी विशेषताओं वाले वैज्ञानिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता के अपने विशिष्ट मार्ग पर कदम रखा है।