धरसींवा,24मई 2025(वेदांत समाचार)। ब्लॉक मुख्यालय धरसींवा से सटे कुरूद-सिलयारी ग्राम पंचायत में इन दिनों खुलेआम गांजा और शराब की बिक्री के साथ-साथ सट्टे का कारोबार भी पूरे गांव को नशे और जुए के दलदल में धकेल रहा है। दस हजार की आबादी वाला यह गांव, जो कभी अपनी शांति और सौहार्द के लिए जाना जाता था, आज नशेड़ियों और सट्टे का अड्डा बन चुका है। स्थिति इतनी विकराल हो चुकी है कि मोहल्ले वासियों ने अपनी बेबसी और गुस्से का इजहार करने के लिए अपने घरों की दीवारों पर ही “मेरे मकान के पीछे मिलता है गांजा” और “मेरे घर के सामने वाहन खड़ी न करें” जैसे चौंकाने वाले संदेश लिख दिए हैं। यह चीखती दीवारें प्रशासन की नींद क्यों नहीं तोड़ पा रही, यह सबसे बड़ा सवाल है।
कुरूद-सिलयारी, जो आसपास के 20 गांवों को जोड़ता है और जहां लोग बाजार के लिए भी आते हैं, सरकार द्वारा हाई स्कूल, अस्पताल और पुलिस चौकी जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां रेलवे स्टेशन भी है, जो इसकी महत्ता को और बढ़ाता है। कभी शांत प्रिय रहा यह गांव, आज नशे,अवैध शराब व सट्टे के अवैध कारोबार की गिरफ्त में है।
पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता: एक बड़ी त्रासदी
सिलयारी में पुलिस चौकी के आस पास भी बेखौफ कारोबार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अवैध शराब, गांजा और सट्टे का यह कारोबार पुलिस चौकी से महज 200 मीटर की दूरी पर खुलेआम चल रहा है। शाम ढलते ही गांव की गलियों में नशेड़ियों और जुआरियों का जमावड़ा लग जाता है, जिससे आम लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार स्थानीय पुलिस को इस अवैध कारोबार की सूचना दी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। शिकायत के बावजूद, पुलिस चौकी की इतनी कम दूरी पर खुलेआम चल रहा यह काला धंधा पुलिस के निष्क्रिय रवैये पर कई सवाल खड़े करता है।
पंचायत प्रतिनिधि भी बेबस, सुशासन शिविर में भी नहीं मिली राहत
हैरानी की बात यह है कि ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि भी इस समस्या से पार नहीं पा सके हैं। उनकी कोशिशें भी नाकाम साबित हुई हैं। ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा को लेकर सुशासन शिविर में भी गुहार लगाई थी, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ऐसा लगता है कि नशे और अवैध शराब के इस कारोबार को रोकने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति कहीं कमजोर पड़ रही है।
युवा पीढ़ी पर मंडराता खतरा, गांव का भविष्य अधर में
इस खुलेआम बिक रहे जहर और सट्टे के दलदल का सबसे बुरा असर गांव की युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। कई युवा नशे की लत और सट्टे के शिकार हो रहे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। अगर जल्द ही इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो कुरूद-सिलयारी गांव सामाजिक विघटन की खाई में धकेला जा सकता है। यह केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक और मानवीय संकट है जिस पर अविलंब ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।