रायपुर,28मई 2025(वेदांत समाचार) । छत्तीसगढ़ की राजधानी आज शिक्षक आंदोलन का केंद्र बन गई, जहां प्रदेशभर से आए सैकड़ों शिक्षक, युक्तियुक्तकरण नीति को रद्द करने की मांग को लेकर मंत्रालय घेराव के लिए माना तूता धरना स्थल पर जुटे। कुल 23 संगठनों के शिक्षक प्रतिनिधि, जिनमें बड़ी संख्या में महिला शिक्षकाएं भी शामिल थीं, सुबह 10 बजे से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार, दोपहर 2 बजे वे मंत्रालय की ओर कूच करेंगे।
क्या है शिक्षकों की मांग?
- 2008 का सेटअप लागू हो
शिक्षक संगठनों ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2008 में जो स्कूल सेटअप तय किया गया था, वही व्यावहारिक और आवश्यक है। उस अनुसार:
प्राथमिक स्कूल: हर 60 बच्चों पर कम से कम 3 शिक्षक
मिडिल स्कूल: न्यूनतम 5 शिक्षक
हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल: विषयवार स्वीकृत पद, कामर्स के लिए 2 शिक्षक अनिवार्य
वर्तमान युक्तियुक्तकरण नीति में इन मानकों की अनदेखी हो रही है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
- शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक स्कूलों पर सवाल
शिक्षकों ने पूछा कि:
3,000 सहायक शिक्षक भर्ती और पदोन्नति के बावजूद 212 प्राथमिक शालाएं शिक्षक विहीन क्यों हैं?
6,872 प्राथमिक स्कूल एकल शिक्षकीय क्यों हैं?
48 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक नहीं और 255 पूर्व माध्यमिक स्कूल एकल शिक्षकीय क्यों हैं?
जबकि शिक्षा विभाग का आदेश था कि पहले इन स्कूलों में पदस्थापना की जाए। शिक्षक नेताओं ने जवाबदेही तय करने की मांग की।
- पदोन्नति के लिए जनरल ऑर्डर की मांग
कई शिक्षक 12–15 वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने क्रमोन्नति के लिए सामान्य आदेश (General Order) जारी करने की मांग की ताकि वर्षों से लंबित पदोन्नति मिल सके। - शून्य पेंशन पर चिंता
वे शिक्षक जिनकी सेवा 10 वर्ष से कम रही, उन्हें पेंशन लाभ नहीं मिल रहे हैं। आंदोलनकारी शिक्षकों ने पूर्व सेवाकाल की गणना कर पेंशन लाभ देने की मांग की। - प्रशिक्षित शिक्षकों को पदोन्नति मिले
शिक्षक संगठनों ने भर्ती और प्रमोशन नियमों के तहत डीएड और बीएड प्रशिक्षित शिक्षकों को उच्च पदों पर पदोन्नत करने की मांग दोहराई।
मंत्रालय घेराव के लिए तैयार आंदोलनकारी
धरना स्थल पर माहौल शांत लेकिन संघर्षपूर्ण है। शिक्षक संगठनों ने कहा कि यदि युक्तियुक्तकरण नीति वापस नहीं ली जाती, और 2008 का सेटअप बहाल नहीं होता, तो आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।
इस प्रदर्शन के माध्यम से छत्तीसगढ़ के शिक्षक सिर्फ अपने हक की नहीं, बल्कि छात्रों के बेहतर भविष्य की लड़ाई भी लड़ रहे हैं — ऐसा उनका कहना है। अब देखना होगा कि सरकार इस बड़े और एकजुट आवाज को कितनी गंभीरता से लेती है।