1 अप्रैल से ऐसे बदल जाएगा आपका टैक्स स्ट्रक्चर, न्यू रिजीम कैसे बनेगी फायदे का सौदा

नई दिल्ली,22 मार्च 2025: 1 अप्रैल 2025 से देशभर में नया टैक्स स्ट्रक्चर लागू हो जाएगा. इसके बाद 12 लाख तक की सैलरी पाने वालों को इनकम टैक्स की टेंशन खत्म हो जाएगी, लेकिन इसके लिए उन्हें न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव करना होगा. अब सवाल उठता है कि जिनकी सैलरी 12 लाख रुपए से ज्यादा है और उन्होंने न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव किया हुआ है तो उन्हें इसका फायदा होगा या नुकसान. इसके साथ ही दूसरा सवाल ये उठता है, जिन्होंने ओल्ड टैक्स रिजीम चुनी है और उनकी सैलरी 12 लाख से ज्यादा है तो उन्हें फायदा होगा या नुकसान?

अगर आपके भी ऐसे ही सवाल है और आप अभी तक ओल्ड टैक्स रिजीम और न्यू टैक्स रिजीम में अंतर नहीं समझ सके हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां हम आपको विस्तार से इन दोनों ही टैक्स रिजीम के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

Ola vs New टैक्स रिजीम
ओल्ड टैक्स रिजीम से न्यू टैक्स रिजीम में स्विच करने वाले यूजर्स को पहले जरूर जान लेना चाहिए कि, उनके लिए न्यू टैक्स रिजीम बेहतर रहेगी या फिर ओल्ड टैक्स रिजीम में फायदा होगा. आपको बता दे ओल्ड टैक्स रिजीम में 80c, NPS, HRA, 80 TTA और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए धारा 80डी में छूट मिलती है, जबकि न्यू टैक्स रिजीम में कुछ ही छूट मिलती है, जिसमें NPS में नियोक्ता के योगदान के लिए धारा 80CCD (2) के तहत कटौती. साथ ही टेलीफोन और परिवहन के लिए मिलने वाले अमाउंट पर टैक्स में छूट मिलती है.

अगर CTC 25 लाख रुपए तो कौन सी टैक्स रिजीम बेहतर?
उदाहरण के लिए वर्तमान में एक कर्मचारी की CTC 25 लाख रुपए है और जिसने आयकर बचाने के लिए हमेशा ओल्ड टैक्स रिजीम का चुनाव किया है, 1 अप्रैल, 2025 से न्यू टैक्स रिजीम में आयकर स्लैब बदलने वाले हैं. ऐसे में अब उसे न्यू और ओल्ड टैक्स रिजीम में से किसमें फायदा होगा.

अगर CTC 25 लाख रुपए तो कौन सी टैक्स रिजीम बेहतर?
उदाहरण के लिए वर्तमान में एक कर्मचारी की CTC 25 लाख रुपए है और जिसने आयकर बचाने के लिए हमेशा ओल्ड टैक्स रिजीम का चुनाव किया है, 1 अप्रैल, 2025 से न्यू टैक्स रिजीम में आयकर स्लैब बदलने वाले हैं. ऐसे में अब उसे न्यू और ओल्ड टैक्स रिजीम में से किसमें फायदा होगा.

नीचे दी गई इंडेक्स में ओल्ड टैक्स रिजीम (OTR) और नई टैक्स रिजीम (NTR) के लिए 25 लाख रुपए के CTC का अलग-अलग ब्यौरा दिखाती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि NPS खाते में नियोक्ता का योगदान अलग-अलग होता है. पुरानी कर व्यवस्था में, धारा 80CCD (2) के तहत मूल वेतन का 10% तक की कटौती की अनुमति है, जबकि नई कर व्यवस्था में इसे 14% पर सेट किया गया है.

विवरणओल्ड टैक्स रिजीमन्यू टैक्स रिजीम
टोटल सैलरी20,31,90020,31,900
Car lease perquisite value (<1600 CC engine)21,60021,600
Gross pay20,53,50020,53,500
Mobile reimbursement50,00050,000
Conveyance reimbursement2,40,0002,40,000
Car leasing amount3,00,0003,00,000
Net Pay14,63,50014,63,500
LTA exemption1,00,0000
Standard deduction50,00075,000
HRA exemption2,60,0000
Food coupons26,4000
Taxable salary10,27,10013,88,500
Section 80C deduction1,50,0000
Employer’s NPS Contribution100,0001,40,000
NPS deduction of Rs 5000050,0000
सेक्शन 80TTA में छूट10,0000
सेक्सन 80डी बीमा प्रीमियम में छूट50,0000
नेट टैक्सेबल सैलरी6,67,10012,48,500
टैक्स अमाउंट47,75750,440

हालांकि, यदि आपने कटौती और छूट के लिए विकल्प समाप्त कर दिए हैं और पुरानी कर व्यवस्था के तहत अधिक आयकर का भुगतान करने की संभावना है, तो नई कर व्यवस्था पर स्विच करें. इससे अधिक कर बचत होगी और प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित होगी, क्योंकि यह कटौती और छूट का दावा करने के लिए सबूतों की व्यवस्था करने और रिकॉर्ड रखने की आवश्यकता को समाप्त करता है.