गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कैल्शियम की कमी होना एक सामान्य बात है. इसके लक्षण भी उभरते हैं. हालांकि अधिकांश महिलाएं इन लक्षणों को गर्भावस्था से जुड़े लक्षण मानकर नजरअंदाज कर देती हैं. जबकि गर्भावस्था में कैल्शियम की कमी होने से जच्चा और बच्चा दोनों को ही गंभीर नुकसान हो सकते हैं. गर्भावस्था में वैसे तो किसी भी तरह के लक्षण को हल्के में नहीं लेना चाहिए. लेकिन, कैल्शियम की कमी से जुड़े लक्षणों के हल्के में लेने से न केवल गर्भवती के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि गर्भस्थ शिशु का विकास भी प्रभावित होता है.
गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए बेहद संवेदनशील समय होता है. महिला के यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. गर्भावस्था में अपना और गर्भ में पल रहे बच्चे का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. इसलिए गर्भावस्था में खानपान और दिनचर्या का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. कहा भी जाता है कि गर्भावस्था के दौरान किए गए कार्यों का बच्चे पर प्रभाव पड़ता है. इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह के लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उनका कारण और निदान के लिए प्रयास करना चाहिए.
कैल्शियम की कमी के कारण और लक्षण
गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए महिला को अधिक कैल्शियम की जरूरत होती है. जब वह जरूरत पूरी नहीं होती तब कैल्शियम की कमी लक्षण उभरने लगते हैं. कैल्शियम गर्भस्थ शिशु की हड्डियों और दांतों के विकास के जरूरी होता है. कैल्शियम की कमी होने से कई और प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान कैल्शियम की कमी होने पर जोड़ों में दर्द, पैरों, टखनों और हाथों दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान और हड्डियों में दर्द होना शामिल हैं. इसके अलावा हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
ऐसे करें बचाव
कैल्शियम की कमी होने के लक्षण उभरने पर अपने खानपान में तुरंत बदलाव करें. आहार में कैल्शियम से भरपूर पदार्थों को शामिल करें. इनमें दूध, दही, हरी सब्जियां, बीन्स और नट्स जैसे पदार्थों को जरूर शामिल करें. इनके अलावा पालक, सोयाबीन, खजूर और बादाम भी कैल्शियम के अच्छे सोर्स हैं. इसके साथ ही अपने डॉक्टर से संपर्क करके कैल्शियम को सप्लीमेंट भी ले सकती हैं.