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KORBA:बायो डायवर्सिटी पार्क में तितलियों का किया जा रहा संरक्षण

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तितलियों की संख्या में और इजाफा होने जताई जा रही उम्मीद

कोरबा,03 मई 2025(वेदांत समाचार)। कोरबा औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता है, लेकिन कोरबा अपने आंचल में प्रकृति के अद्भुत खजाने को भी समेटे हुए है। पूर्वी और पश्चिमी घाटों के बीच बसे मैकल रेंज की पहाडिय़ों से घिरा यह क्षेत्र मध्य भारत की समृद्ध जैव विविधता का प्रतीक है। यहां न केवल वे प्रजातियां पाई जाती हैं जो मध्य भारत में आम हैं, बल्कि कुछ ऐसी दुर्लभ प्रजातियां भी मिलती हैं जो पूर्वी और पश्चिमी घाटों में ही पाई जाती हैं।

पुटका पहाड़ के किनारे केसला में बन रहा बायो डायवर्सिटी पार्क इस विशेषता को और भी उजागर करता है। यहां हिमालय की तराई में पाई जाने वाली तितलियां भी मिली हैं, जिससे पता चलता है कि यह क्षेत्र विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों का मिलन बिंदु है। कोरबा वन विभाग द्वारा केसला में बनाया जा रहा बायो डायवर्सिटी पार्क तितलियों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यहां तितलियों की 40 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें बार्न, बैरनेट, नाविक, तावी कोस्टर, ग्रे काउंट, पैंसी, कमांडर लेपर्ड, और ग्रास यलो जैसी खूबसूरत प्रजातियां शामिल हैं। विभाग का मानना है कि सुरक्षित वातावरण मिलने पर यहां तितलियों की संख्या में और भी वृद्धि होगी।

कोरबा के जंगल में जैव विविधता की कोई कमी नहीं है। चैतुरगढ़, महादेव पहाड़, और कोसगाई पहाड़ जैसे क्षेत्रों में जंगली जानवर स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। यहां किंग कोबरा, ऊदबिलाव, विभिन्न प्रकार की छिपकलियां, हनी बेजर, पेंगोलिन जैसे दुर्लभ जीव पाए जाते हैं। इन वन्यजीवों को रहने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने वाली वनस्पतियां भी यहां प्रचुर मात्रा में मौजूद है। इन पहाडिय़ों में तरी फर्न, साइथिया, सर्पगंधा, सफेद मूसली, कलिहारी, सलाई कुल्लू, गुड़मार, ईश्वर मूल, बलराज और तेजराज जैसे दुर्लभ औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं, जो इस क्षेत्र को औषधीय रूप से भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।

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